नई दिल्ली। नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) ने देश को 50 खरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए रियल एस्टेट की समस्याओं को दूर करने और बाजार में पूंजी तरलता बढ़ाने की मांग की है।
नारेडको के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने बुधवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रियल एस्टेट और शहरी बुनियादी संरचना सर्वाधिक रोजगार प्रदान करने वाले क्षेत्रों में शामिल है।
अत: इनकी समस्यायें प्राथमिकता के आधार पर दूर करने की जरुरत है तभी विकास दर दो अंकों तक पहुंच सकती है और भारत 50 खरब अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है। उन्होंने कहा कि इसी के साथ ही पर्यटन, टेक्सटाइल, सड़क और बंदरगाह क्षेत्र के विकास पर महती जोर देना होगा। युवाओं को रोजगार मिलने से ही हर क्षेत्र का विकास होगा।
इसे भी पढ़ें :- देश को सीएए, एनआरसी और एनपीआर की जरूरत नहीं : ज्यां द्रेज
हर हाथ में जब पैसा होगा और लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी तो मकानों सहित अन्य चीजें फटाफट बिकेंगी और देश तरक्की की राह पर सरपट दौड़ेगा। उन्होंने कहा कि नारेडको ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अपना मांग पत्र सौंपा है जिसमें हाउसिंग सेक्टर को कर्ज मुहैया कराने, मकान कर्ज की ब्याज दर सात प्रतिशत करने, मकानों की रजिस्ट्री पर स्टैम्प शुल्क कम करने, किराया नीति घोषित करने, पूंजी तरलता बढ़ाने और व्यक्तिगत कर्ज पर ब्याज दर कम करने की मांग की है।
इसके साथ ही आयकर अधिनियम की धारा 23(5) को समाप्त करने की मांग की है। नारेडको ने अपनी मांगों से प्रधानमंत्री कार्यालय को भी अवगत करा दिया है। हीरानंदानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम बहुत सफल रही है। इसी योजनाओं की तरह सरकार हाउसिंग क्षेत्र की अन्य योजनाओं को सफल बनाने के प्रयास किये जाने चाहिए।
उन्होंने जोखिम में फंसी संपत्तियों को उबारने के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना की और कहा कि इसके परिणाम आने लगे हैं और भारतीय स्टेट बैंक ने इसके लिए पहल शुरू कर दी है। नोएडा और गुड़गांव जैसे शहरों में मकान खरीदने वालों को इससे बहुत लाभ होगा और लोगों के अपना घर के सपने को पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि उनकी ओर से पेश की मांगों को पूरा करने से श्री मोदी के 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ का आह्वान पूरा होता दिखेगा।