मुंबई। शनिवार को शिव सेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें पूरी पार्टी एकजुट होकर पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ खड़ी दिखी। इस बैठक में कई अहम फैसले हुए और उद्धव को इस बात के लिए अधिकृत किया गया कि वे बागी विधायकों के बारे में फैसला करें। इस बैठक में बात बागियों के बाप तक पहुंच गई। पार्टी ने जोर देकर कहा कि बागी नेता बाला साहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल नहीं करेंगे। इसे आगे बढ़ाते हुए पार्टी के सांसद संजय राउत ने कहा कि बागी नेता वोट मांगने के लिए अपने बाप के नाम का इस्तेमाल करें, उद्धव ठाकरे के बाप के नाम पर वोट नहीं मांगे।
बहरहाल, शनिवार को हुई बैठक में कई अहम फैसले किए गए और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बागी नेताओं पर कार्रवाई का अधिकार दिया गया है। साथ ही चार प्रस्ताव पारित किए गए। बागी नेताओं को शिव सेना के साथ बाला साहेब के नाम का इस्तेमाल न करने की हिदायत दी गई। यह भी कहा गया है कि अगर बाला साहेब के नाम का इस्तेमाल बागी गुट करता है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के प्रति भरोसा जताया गया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इस बैठक में सभी पदाधिकारियों के दस्तखत भी लिए गए ताकि पार्टी में वर्चस्व की जंग में अपनी ताकत साबित की जा सके। गौरतलब है कि बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे ने पार्टी और चुनाव चिन्ह पर अपने नियंत्रण के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है। वे दावा कर रहे हैं कि पार्टी के 55 में से 38 विधायक उनके साथ हैं इसलिए असली शिव सेना उनकी है।
बहरहाल, शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से एक दिन पहले उद्धव ठाकरे ने पार्टी के जिला प्रमुखों को संबोधित किया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिंदे की बगावत से शिव सेना पर असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने पार्टी कार्यकताओं से नए सिरे से पार्टी का पुनर्निर्माण करने को कहा है। इस बीच शिव सेना की नेता नीलम गोर्हे ने कहा कि एकनाथ शिंदे शिव सेना के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकते, उनके समूह का भारतीय जनता पार्टी में विलय होना चाहिए।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी उद्धव के साथ
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