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दिल्ली दंगा मामले में डीसीपी पर ‘फौरन उपचारात्मक कार्रवाई’ का निर्देश

नई दिल्ली। उत्तरपूर्वी दिल्ली के 2020 के दंगों से जुड़े एक मामले पर सुनवाई करते हुए एक अदालत (Local Court) ने संबंधित पुलिस उपायुक्त (Deputy Commissioner of Police) (डीसीपी DCP) को एक आरोपी के खिलाफ अपुष्ट, आपत्तिजनक वीडियो के संबंध में ‘तत्काल उपचारात्मक कार्रवाई’ (‘immediate remedial action’) करने का निर्देश दिया है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत (Additional Sessions Judge Amitabh Rawat) चार लोगों- राहुल कुमार, सूरज, योगेंद्र सिंह और नरेश के खिलाफ आरोप तय करने के लिए मामले पर सुनवाई कर रहे हैं। इन चारों पर उस उपद्रवी भीड़ का हिस्सा होने का आरोप है जिसने 25 फरवरी 2020 को एक पूजा स्थल तथा कुछ दुकानों में आगजनी की थी।

न्यायाधीश ने इस बात पर संज्ञान लिया कि कुमार की पहचान करने वाला एक सरकारी गवाह है जबकि सूरज और योगेंद्र के संबंध में सीसीटीवी फुटेज है। इसके अलावा नरेश के खिलाफ एक वीडियो है जिस पर एक प्रार्थना स्थल पर आगजनी करने तथा उसकी छत पर एक झंडा लगाने का आरोप है।

अदालत ने गत सप्ताह दिए आदेश में कहा, हालांकि, जब वीडियो केंद्रीय न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) भेजा गया तो रिपोर्ट में कहा गया कि वीडियो विश्लेषण प्रणाली में डीवीडी तक नहीं पहुंचा जा सका और अत: कोई जांच नहीं की गयी। एफएसएल रिपोर्ट पूरक आरोपपत्र के माध्यम से दाखिल की गयी।

न्यायाधीश ने कहा कि नरेश की पहचान करने वाला कोई अन्य गवाह नहीं है। अदालत ने कहा, जांच अधिकारी या थाना प्रभारी अधिकारी (एसएचओ) या सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) को एफएसएल को फिर से सही वीडियो भेजनी चाहिए थी लेकिन इसके बजाय जांच अधिकारी ने अप्राप्य वीडियो की एफएसएल रिपोर्ट के साथ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है।

न्यायाधीश ने कहा कि अदालत को उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर आरोप तय करने हैं। अदालत ने कहा कि एक ‘अपुष्ट डीवीडी’ के आधार पर नरेश के खिलाफ आरोप तय करना ‘मुश्किल’ है। न्यायाधीश ने कहा, ‘इन परिस्थितियों में यह अदालत संबंधित डीसीपी को फौरन उपचारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश देती है।’ इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए सात जून की तारीख तय की गयी है। (भाषा)

 

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