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बिहार में अंकों के ‘कोड’ से होगा जातियों की पहचान

पटना। बिहार में जातियों की पहचान अब अंकों के आधार पर तैयार किए गए कोडों से होगा, यह सुनकर आपको भले ही थोड़ा अटपटा लगा हो, लेकिन यह सही है। दरअसल, बिहार में जारी जाति आधारित गणना में अलग-अलग जातियों की पहचान के लिए बजाप्ता अंकों के जरिए अलग-अलग कोड तैयार किया गया है, जिसके आधार पर जातियों की पहचान होगी। अंकों के द्वारा ही पता चल जाएगा कि कौन किस जाति से आते है।

बिहार में जारी जाति आधारित जनगणना के दूसरे चरण में प्रपत्र के अलावा पोर्टल और मोबाइल ऐप के जरिए जाति के अंकों के आाधार पर बनाए गए कोड भरे जाएंगे, जिससे जातियों की पहचान हो जाएगी। बिहार में 15 अप्रैल से दूसरे चरण की गणना के दौरान 17 कॉलम और 215 जातियों के नामों की सूची है। हर जाति के लिए अलग-अलग कोड तय किए गए हैं। यानी अब जातियों की पहचान उनके कोड संख्या के जरिए होगी। अब कोड से ही पता चल जाएगा कि कौन किस जाति का है।

कहा तो यहां तक जा रहा है कि भविष्य में भी आवेदन पत्रों और अन्य रिपोटरें में इन कोडों के जरिए जातियों की पहचान की जा सकेगी। जाति आधारित जनगणना से जुडे एक अधिकारी की मानें तो बनिया जाति के लिए कोड संख्या 124 तय किया गया है, जिसमें सूड़ी, गोदक, मायरा, रोनियार, पंसारी, मोदी, कसेरा, केसरवानी, ठठेरा, कलवार, कमलापुरी वैश्य, माहुरी वैश्य, बंगी वैश्य, वैश्य पोद्दार, बर्नवाल, अग्रहरी वैश्य, कसौधन, गंधबनिक, बाथम वैश्य, गोलदार आदि शामिल हैं।

कायस्थ के लिए कोड संख्या 22 का इस्तेमाल किया जाएगा जबकि ब्राह्मणों के लिए 128 और भूमिहारों के लिए 144 कोड तय किए गए हैं। इसी तरह अलग-अलग जातियों के लिए अलग-अलग कोड बनाए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने पिछले साल जाति आधारित गणना को मंजूरी दी थी। इस सर्वेक्षण के तहत पहले चरण में मकानों की गणना पूरी कर ली गई है जबकि दूसरे चरण की गणना 15 अप्रैल से होने वाली है। इस गणना का कार्य मई तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। (आईएएनएस)

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