जलवायु परिवर्तन के लिए धन उपलब्ध नहीं कराने पर पश्चिम देशों की खिंचाई

जलवायु परिवर्तन के लिए धन उपलब्ध नहीं कराने पर पश्चिम देशों की खिंचाई

वाशिंगटन। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने जलवायु उद्देश्यों हासिल करने के लिए धन उपलब्ध नहीं कराने को लेकर पश्चिम देशों की खिंचाई करते हुए कहा कि भारत स्व-वित्त के जरिए जलवायु परिवर्तन की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के खिलाफ अपनी लड़ाई में भारत बेहद महत्वाकांक्षी तरीके से राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ रहा है।

सीतारमण ने सोमवार को कहा, हमने सीओपी21 और फिर सीओपी26 (COP26) में जो प्रतिबद्धताएं की उस पर तय मापदंडों के तहत काम कर रहे हैं, जिन पर यूएनएफसीसीसी (UNFCCC) (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन) में सभी सहमत हुए थे। इसलिए हम राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित प्रतिबद्धताओं के रास्ते पर आगे बढ़ेंगे। मुझे यह बताते हुए काफी खुशी हो रही है कि भारत ने पेरिस में की गई अपनी सीओपी21 प्रतिबद्धताओं को बड़े पैमाने पर अपने स्वयं के धन से पूरा किया है। उन्होंने कहा, कोष (जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए) है, लेकिन उपलब्ध नहीं है। वादा किया गया, लेकिन इसका वितरण नहीं किया गया। हम जिस एक अरब की बात करते आए हैं, उस पर कुछ नहीं हुआ। यह कुछ ऐसा हो सकता है जिसके बारे में कई देश बोलना चाहेंगे और मैं इसे अपनी सूची में रखूंगी।

सीतारमण ने कहा कि मौजूदा चिंता यह है कि प्रति व्यक्ति उत्सर्जन क्या है जिसके बारे में बात की जा रही है, जो वास्तव में कुछ देशों को नुकसान पहुंचा रहा है। (भाषा)

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