नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने आपदाओं (Disaster) से निपटने के लिए एकीकृत प्रतिक्रिया की जरूरत रेखांकित करते हुए मंगलवार को कहा कि एक क्षेत्र में आपदा का दूसरे क्षेत्र पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
‘कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर’ (सीडीआरआई) (CDRI) की ओर से आयोजित पांचवें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए उन्होंने आपदा की स्थिति में स्थानीय अंतर्दृष्टि के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, निकटता से जुड़ी दुनिया में, आपदाओं का प्रभाव केवल स्थानीय नहीं होगा, बल्कि एक क्षेत्र में आपदा का अलग क्षेत्र में बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, हमारी प्रतिक्रिया एकीकृत होनी चाहिए, अलग-थलग नहीं।
श्री मोदी ने कहा कि 40 देश कुछ वर्षों में सीडीआरआई के लिए गठबंधन का हिस्सा बन गए हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन उन्नत और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं, बड़े और छोटे देशों और वैश्विक उत्तर और वैश्विक दक्षिण को एक मंच पर लाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है।
मोदी ने कहा कि बुनियादी ढांचा केवल ‘रिटर्न’ के बारे में नहीं है, बल्कि पहुंच और लचीलेपन के बारे में भी है। बुनियादी ढांचे के बारे में समग्र दृष्टिकोण रखने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यह ऐसी चीज है जिसमें किसी को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए और संकट के समय लोगों की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक और डिजिटल बुनियादी ढांचा उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि परिवहन बुनियादी ढांचा। ‘लचीली और समावेशी अवसंरचना’ इस वर्ष के सम्मेलन का विषय है।
प्रधानमंत्री ने भारत और यूरोप में लू, चक्रवात और तुर्किए तथा सीरिया में हाल में आए भूकंप की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि हालिया आपदाएं दुनिया के सामने मौजूद चुनौतियों की याद दिलाती हैं। उन्होंने कहा कि यह उत्साहजनक है कि सरकारों के अलावा वैश्विक संस्थान, निजी क्षेत्र और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ भी इसमें शामिल हैं। त्वरित राहत के साथ-साथ प्रधानमंत्री ने आपदाओं के दौरान भी सामान्य स्थिति की जल्द बहाली पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, लचीलापन, एक आपदा और दूसरी आपदा के बीच के समय के दौरान बनाया जाता है। पिछली आपदाओं का अध्ययन करना और उनसे सबक सीखना ही इसका तरीका है।
प्रधानमंत्री ने कहा ‘50 मिलियन डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर रेजिलिएंस एक्सेलेरेटर फंड ने विकासशील देशों के बीच अत्यधिक रुचि पैदा की है।’ मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत अपनी मौजूदा जी-20 अध्यक्षता के माध्यम से इस साल दुनिया को एक साथ ला रहा है और सीडीआरआई को इस प्रतिष्ठित निकाय के कई कार्य समूहों में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा, आप यहां जिन समाधानों की खोज करेंगे, उन पर वैश्विक नीति-निर्माण के उच्चतम स्तर पर ध्यान दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र और क्षेत्र विभिन्न प्रकार की आपदाओं का सामना करते हैं और इन परिस्थितियों में समाज बुनियादी ढांचे से संबंधित स्थानीय ज्ञान विकसित करता है। उन्होंने बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करते समय, इस तरह के ज्ञान का बुद्धिमानी से उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “स्थानीय अंतर्दृष्टि के साथ आधुनिक तकनीक लचीलेपन के लिए बहुत अच्छी हो सकती है। इसके अलावा, यदि अच्छी तरह से इनका उपयोग किया जाता है तो स्थानीय ज्ञान एक वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास बन सकता है।
भारत की अगुवाई वाला सीडीआरआई नयी दिल्ली में आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है। इस प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम में 20 से ज्यादा देशों से 50 वैश्विक संगठनों, निजी क्षेत्र और शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि के तौर पर लगभग 90 विशेषज्ञ शामिल हैं। इसमें अधिक मजबूत दुनिया के लिए संभावित समाधानों को बढ़ाने और आपदा एवं जलवायु अनुकूल उद्देश्यों की सुविधा पर ध्यान केंद्रित किया जाना है।
सम्मेलन में बुनियादी ढांचे में मजबूती लाने और आपदाओं के बढ़ते मामलों तथा प्रभाव के कारण लोगों और समुदायों के लिए आवश्यक सेवाओं की पहुंच, वितरण और निरंतरता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देने का प्रयास किया जाएगा। (भाषा)