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वैश्विक मंदी से सावधान रहें : सीतारमण

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बृहस्पतिवार को कहा कि हालिया भू राजनीतिक तनाव और महामारी (pandemic) ने वैश्विक कर्ज से जुड़ी असुरक्षा को बढ़ा दिया है और अगर इनसे नहीं निपटा गया तो वैश्विक मंदी (global recession) उत्पन्न हो सकती है और लाखों लोगों को गरीबी में ढकेल सकती है।

सीतारमण ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ (Voice of Global South) शिखर सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते कहा, भारत दशकों से विकास के पथ पर हमारी सहयात्री रहे वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के दृष्टिकोण को रखने को उत्सुक है। उन्होंने कहा कि दशकों से भारत अनुदान, रिण सुविधा, तकनीकी परामर्श, भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (Indian technical and economic cooperation) (आईटीईसी-ITEC) के माध्यम से अनेक क्षेत्रों में विकास में सहयोग के प्रयासों में सबसे आगे रहा है।

वित्त मंत्री ने कहा, हमें ऐसा तंत्र तलाशना चाहिए ताकि बहुतस्तरीय विकास बैंकों द्वारा प्रदान किया जा रहा समर्थन देश की विशिष्ठ जरूरतों के अनुरूप एवं अनुपूरक हो। सीतारमण ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कर्ज से जुड़ी असुरक्षा की स्थिति बढ़ रही है और प्रणालीगत वैश्विक कर्ज संकट का खतरा पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि यह बाह्य कर्ज की अदायगी और खाद्य एवं ईंधन जैसी आवश्यक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बीच फंसी अर्थव्यवस्थाओं से स्पष्ट होती है।

वित्त मंत्री ने कहा, ऐसे में विकास के सामाजिक आयाम और बढ़ते वित्तीय अंतर के विषय पर ध्यान देने की जरूरत है जिसका सामना कई देश टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में कर रहे हैं। ग्लोबल साउथ क्षेत्र के साथ भारत के सहयोग को रेखांकित करते हुए सीतारमण ने कहा कि हमारी विकास सहयोग परियोजनाएं वैश्विक दक्षिण के अन्य देशों के साथ ज्ञान साझा करने एवं क्षमता निर्माण के लिये आदर्श बन रही हैं।

वित्त मंत्री सीतारमण ने इस शिखर सम्मेलन में ‘लोक केंद्रित विकास का वित्त पोषण’ सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस सत्र में ग्लोबल साउथ देशों के 15 वित्त मंत्रियों ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, हमारा मजबूती से यह मानना है कि कोई ‘पहली दुनिया या तीसरी दुनिया’ नहीं होनी चाहिए बल्कि केवल एक दुनिया हो जो साझे भविष्य की साझी समझ पर आधारित हो।

सीतारमण ने कहा कि महामारी के बाद दुनिया जब फिर से सामान्य बनने की दिशा में प्रयासरत है, ऐसे समय में वैश्विक दक्षिण क्षेत्र को महामारी, जलवायु परिवर्तन और भू राजनीतिक तनाव जैसी चुनौतियों से निपटने की जरूरत है जो विकास एवं आर्थिक वृद्धि के प्रयासों को प्रभावित कर रही हैं। मंत्री ने कहा कि महामारी के कारण उत्पन्न कठिनाई ने सभी स्तर पर असुरक्षा को सामने ला दिया है और यह बता दिया है कि प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत बनाने की जरूरत है ताकि संस्थानों की प्रतिक्रिया देशों की विशिष्ट जरूरतों के अनुरूप हो।

वित्त मंत्री ने कहा कि हालिया भू राजनीतिक तनाव और महामारी ने वैश्विक कर्ज से जुड़ी असुरक्षा को भी बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा, अगर इनसे नहीं निपटा गया, तो कर्ज से जुड़ी असुरक्षा में वृद्धि के कारण वैश्विक मंदी उत्पन्न हो सकती है और लाखों लोगों को गरीबी में ढकेल सकती है। इस सत्र में मुख्य रूप से यह चर्चा हो रही है कि विकास का वित्त-पोषण कैसे किया जाए, कैसे कर्ज के जाल से बचें तथा अपनी विकास सहायता का ढांचा किस प्रकार से तैयार करें और वित्तीय समावेशन कैसे सुनिश्चित करें।

भारत 12-13 जनवरी को दो दिवसीय ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, जो यूक्रेन संघर्ष के कारण उत्पन्न खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर विकासशील देशों को अपनी चिंताएं साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। ‘ग्लोबल साउथ’ व्यापक रूप से एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के विकासशील देशों एवं उभरती अर्थव्यवस्थाओं को कहा जाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए खाद्य, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों, कोविड-19 वैश्विक महामारी के आर्थिक प्रभावों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं पर भी चिंता व्यक्त की। (भाषा)

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