नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) (एमसीडी) (MCD) का महापौर अब तक नहीं चुने जाने के बीच निगम का 2023-2024 का बजट ( budget) इसके विशेष अधिकारी (special officer) द्वारा पारित किया जा सकता है। यह जानकारी सूत्रों ने बृहस्पतिवार को दी।
सूत्रों के मुताबिक, बजट कवायद को पूरा करने में एक हफ्ते का ही समय बचा है और अगर निगम के विशेष अधिकारी द्वारा बजट पारित किया जाता है तो यह एमसीडी के इतिहास में ‘अप्रत्याशित घटनाक्रम’ होगा, क्योंकि परंपरागत रूप से बजट को सदन पारित करता है।
गौरतलब है कि एमसीडी सदन अब तक तीन बार महापौर का चुनाव (mayoral election) करने में विफल रहा है। जब-जब महापौर के चुनाव के लिए सदन की बैठक बुलाई जाती है तब-तब हंगामा होता है और कार्यवाही को स्थगित कर दिया जाता है।
महापौर के चुनाव के लिए सदन की पिछली बैठक छह फरवरी को हुई थी और मनोनीत पार्षदों को मताधिकार देने को लेकर हुए हंगामे के बाद कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया था। आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रक्रिया को रोकने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर साजिश रचने का आरोप लगाया है।
‘आप’ ने अदालत की निगरानी में चुनाव कराने के लिए मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया। शीर्ष अदालत ने ‘आप’ की महापौर पद की उम्मीदवार शैली ओबरॉय की याचिका पर बुधवार को उपराज्यपाल के दफ्तर, एमसीडी की पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा और अन्य से जवाब तलब किया है।
आधिकारिक सूत्रों ने पहले बताया था कि निगम के आयुक्त ज्ञानेश भारती (Gyanesh Bharti) ने आठ दिसंबर को एमसीडी का बजट इसके विशेष अधिकारी को प्रस्तुत किया था। नियमों के तहत आयुक्त को वार्षिक बजट 10 दिसंबर से पहले पेश करना होता है। इसके बाद बजट को महापौर की अध्यक्षता में सदन की विशेष बैठक में सदन के नेता द्वारा अनुमोदित किया जाता है।
इस संबंध में एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि सदन तीन बार की कोशिश के बावजूद महापौर का चुनाव नहीं कर सका है और मामला अब अदालत चला गया है तथा डीएमसी अधिनियम 1957 के तहत बजट कवायद को 15 फरवरी तक पूरा करना है। ऐसे में लगता है कि बजट को विशेष अधिकारी द्वारा पारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर सदन में महापौर की अध्यक्षता के बिना बजट पारित किया जाता है तो यह एमसीडी के इतिहास में ‘‘अप्रत्याशित घटनाक्रम’’ होगा।
राष्ट्रीय राजधानी में एमसीडी का चुनाव पिछले साल चार दिसंबर को हुआ था और सात दिसंबर को नतीजे आए थे। ‘आप’ ने 250 में से 134 वार्ड पर जीत हासिल की थी जबकि भाजपा को 104 सीट मिली थीं। (भाषा)