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केंद्र का नारी सशक्तीकरण पर जोर: मुर्मू

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने मंगलवार को सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि इन योजनाओं के केंद्र में महिलाओं का जीवन सुगम बनाना, महिलाओं को रोजगार-स्वरोजगार (self-employment) के नए अवसर देना और महिला सशक्तीकरण (women empowerment) अहम रहा है।

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राष्ट्रपति ने संसद (Parliament) के सेंट्रल हॉल में अपने अभिभाषण में यह भी कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता का परिणाम है कि देश में पहली बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक हुई है एवं महिलाओं का स्वास्थ्य भी पहले के मुकाबले और बेहतर हुआ है। उन्होंने बजट सत्र के प्रथम दिन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, मेरी सरकार की एक बहुत बड़ी उपलब्धि महिला सशक्तीकरण रही है। मुझे प्रसन्नता है कि महिलाओं की ऐसी प्रगति के पीछे मेरी सरकार के प्रयासों का संबल रहा है। उन्होंने इस अवसर पर ओडिया भाषा की कवयित्री ‘उत्कल भारती’ कुंतला कुमारी साबत की 100 वर्ष पहले लिखी ‘नारी-शक्ति’ नामक कविता भी पढ़ी जिसका अर्थ है, भारत की नारी पृथ्वी पर किसी की तुलना में न तो हीन है, न दीन है। सम्पूर्ण जगत में उसकी अमर कीर्ति युगों-युगों तक कभी लुप्त नहीं होगी यानि सदैव बनी रहेगी।

राष्ट्रपति ने कहा, मुझे यह देखकर गर्व होता है कि आज हमारी बहनें और बेटियां उत्कल भारती के सपनों के अनुरूप विश्व स्तर पर अपनी कीर्ति पताका फहरा रही हैं। मुर्मू ने कहा कि सरकार ने जितनी भी कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं, उनके केंद्र में महिलाओं का जीवन सुगम बनाना, महिलाओं को रोजगार-स्वरोजगार के नए अवसर देना और महिला सशक्तीकरण रहा है। उन्होंने कहा कि महिला उत्थान में पुरानी धारणाओं और पुरानी मान्यताओं को तोड़ना भी पड़ा, तो सरकार उससे भी पीछे नहीं हटी है। उन्होंने कहा, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता आज हम देख रहे हैं। सरकार के प्रयासों से समाज में जो चेतना आई, उससे बेटियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। देश में पहली बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक हुई है एवं महिलाओं का स्वास्थ्य भी पहले के मुकाबले और बेहतर हुआ है।

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मुर्मू ने कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान हो या फिर प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना, इनसे मां और बच्चे, दोनों के जीवन को बचाने में सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना की भी लगभग 50 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं ही हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सरकार बेटियों की पढ़ाई से लेकर उनके कॅरियर तक हर बाधा को दूर करने का प्रयास कर रही है। देश के सरकारी स्कूलों में बेटियों के लिए अलग शौचालयों का निर्माण हो या फिर सैनिटेरी पैड्स से जुड़ी योजना, इससे बेटियों के ड्रॉप आउट रेट में बहुत कमी आई है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान से महिलाओं की गरिमा तो बढ़ी ही है, इससे एक सुरक्षित माहौल भी उन्हें मिला है। उन्होंने कहा कि सुकन्या समृद्धि योजना से देशभर की करोड़ों बेटियों के बेहतर भविष्य के लिए पहली बार बचत खाते खुले हैं, वहीं नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बेटियों की शिक्षा के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि किसी भी काम, किसी भी कार्यक्षेत्र में महिलाओं के लिए कोई बंदिश न हो।

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राष्ट्रपति ने कहा, इसलिए खनन से लेकर सेना में अग्रिम मोर्चों तक, हर सेक्टर में महिलाओं की भर्ती को खोल दिया गया है। सैनिक स्कूलों से लेकर मिलिट्री ट्रेनिंग स्कूलों तक में, अब हमारी बेटियां पढ़ाई और प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। ये मेरी सरकार ही है जिसने मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया है। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना की लगभग 70 प्रतिशत लाभार्थी महिला उद्यमी ही हैं।

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राष्ट्रपति ने कहा कि एक अध्ययन के अनुसार, इस योजना से महिलाओं की आर्थिक शक्ति और सामाजिक फैसलों में उनकी भागीदारी बढ़ी है। पीएम आवास योजना के तहत मिलने वाले घरों की रजिस्ट्री भी महिलाओं के नाम पर होने से महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा कि जनधन योजना से पहली बार देश में बैंकिंग सुविधाओं में महिलाओं और पुरुषों के बीच अब बराबरी आ गई है, देश में इस समय 80 लाख से ज्यादा स्वयं-सहायता समूह भी काम कर रहे हैं, जिनमें करीब नौ करोड़ महिलाएं जुड़ी हुई हैं और इन महिला स्वयं- सहायता समूहों को सरकार द्वारा लाखों करोड़ रुपए की मदद दी जा रही है। (भाषा)

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