नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सोमवार को संबंधित मंत्रालयों को निर्देश दिया कि वे चल और अचल संपत्ति (Property Documents) के दस्तावेजों को आधार नंबर (Aadhaar Number) से जोड़ने की मांग वाली याचिका पर अपना जवाब दाखिल करें।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा वर्ष 2019 में दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए), ग्रामीण विकास मंत्रालय और कानून मंत्रालय से जवाब मांगा। सुनवाई के दौरान, अदालत ने कहा कि रजिस्ट्री ने उपाध्याय के आवेदन में कुछ दोषों की ओर इशारा किया है और फिर उसे ठीक करने का निर्देश दिया है। पीठ ने सरकारी अधिकारियों से भी जवाब दाखिल करने को कहा।
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने कहा कि यह मामला एक महत्वपूर्ण मुद्दे को सामने लाता है। यह याचिकाकर्ता का मामला है कि चल-अचल संपत्तियों को मालिक के आधार नंबर से जोड़ने से भ्रष्टाचार, काले धन और बेनामी लेनदेन पर अंकुश लगेगा।
उपाध्याय ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के आलोक में, सरकार भ्रष्टाचार और काले धन पर अंकुश लगाने और बेनामी संपत्तियों को जब्त करने के लिए उचित कदम उठाने के लिए बाध्य है। काले धन धारकों को अपनी अलेखापरीक्षित चल और अचल संपत्तियों की घोषणा करने के लिए मजबूर किया जाएगा और बेनामी संपत्ति की उस राशि को फिर से उत्पन्न करने में सालों लगेंगे। इस प्रकार, यह लंबे समय तक काले धन के सृजन को समाप्त करने में मदद करेगा।
वार्षिक वृद्धि के बारे में बात करते हुए, उपाध्याय ने दावा किया है कि अगर सरकार ने संपत्ति के दस्तावेजों को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया, तो इससे दो प्रतिशत की वृद्धि होगी।
याचिका में कहा गया, (आधार को संपत्ति के दस्तावेजों से जोड़ना) हमारी चुनावी प्रक्रिया को साफ कर देगा, जिसमें काले धन और बेनामी लेनदेन का बोलबाला है और काले निवेश के चक्र पर फलता-फूलता है, गलत तरीकों से सत्ता पर कब्जा करता है, निजी संपत्ति को इकट्ठा करने के लिए राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करता है, यह सब तिरस्कार के साथ होता है। पीठ ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 18 जुलाई, 2023 को सूचीबद्ध किया। (आईएएनएस)