नई दिल्ली। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव (Vote of thanks) पर राज्यसभा (Rajya Sabha) में चर्चा के दौरान अपनी कही गई बातों के कुछ हिस्से को कार्यवाही से हटाए जाने पर आपत्ति जताते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्हें नहीं लगता कि उन्होंने कुछ असंसदीय कहा था।
उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर यह मुद्दा उठाते हुए खरगे ने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा था, उसमें से छह बिंदुओं को कार्यवाही से हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ भी असंसदीय कहा था।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि परंपराओं और नियमों का सदन में पूरी तरह पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां जो कुछ कहा जाता है, वह नियमों के दायरे में रह कर ही कहा जाता है। उन्होंने कहा, लेकिन फिर भी चुन चुन कर गलत अर्थ निकालें…. मैं यह तो नहीं कहूंगा लेकिन फिर भी मुझसे इस बारे में बात की जा सकती थी।
इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्होंने कार्यवाही का गहन अध्ययन कर कुछ हिस्से हटाए जाने का निर्णय किया। उन्होंने कहा कि मैं सदस्यों से आग्रह करना चाहूंगा कि वे भी कार्यवाही का अध्ययन करें। सदन की गरिमा हर हाल में बनाए रखनी चाहिए।
खरगे ने यह भी कहा कि आसन की ओर से बार-बार टोका जाता है जबकि यह ठीक नहीं हैं। इस पर धनखड़ ने जवाब दिया एलओपी का डिफेन्डर आसन ही होता है। तब खरगे ने कहा कि ऐसा नहीं हो रहा है। इससे पहले, कार्यवाही से नेता प्रतिपक्ष के संबोधन के कुछ हिस्से हटाए जाने का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के मुकुल वासनिक ने कहा कि आसन की ओर से कहा गया था कि हमें राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। (भाषा)