रांची। झारखंड के सरकारी स्कूलों के शिक्षक (teachers) सरकार के एक फरमान से हलकान हैं। शिक्षा विभाग (education Department) ने उनसे मिड डे मील (mid-day meal) के अनाज की खाली बोरियों का पूरे छह साल का हिसाब मांगा है। न सिर्फ हिसाब मांगा है, बल्कि इन बोरियों को बाजार में सरकार की ओर से निर्धारित रेट पर बेचने और इससे मिलने वाला पैसा जमा कराने को कहा है। इसे लेकर अलग-अलग जिलों के जिला शिक्षा अधीक्षकों ने सभी प्रखंड के बीईईओ (ब्लॉक एजुकेशन एक्सटेंशन ऑफिसर्स) को पत्र लिखा है। पत्र को अति महत्वपूर्ण बताते हुए इस आदेश का पालन करने को कहा गया है।
विभाग ने इसे लेकर पहले भी पत्र जारी किए थे, लेकिन अनाज की खाली बोरियों का सही-सही हिसाब नहीं मिल पाया। अब अलग-अलग जिलों में जो पत्र जारी किए गए हैं, उसमें कहा गया है कि इस संबंध में अब तक रिपोर्ट जमा नहीं किया जाना घोर अनुशासनहीनता है। सभी बीईईओ से यह भी पूछा गया है कि अगर वे निर्धारित समय सीमा के भीतर रिपोर्ट नहीं जमा करते हैं तो क्यों नहीं उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की जाए?
प्रखंड शिक्षा प्रसार अधिकारियों (बीईईओ) से कहा गया है कि पिछले छह वर्षों में सभी स्कूलों में अनाज की आपूर्ति जिन बोरियों में की गई, उसका पूरा विवरण और उसकी बिक्री से प्राप्त हुई राशि के संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी को रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। मिड डे मील के अनाज के खाली प्रत्येक बोरी 14.40 रुपये के हिसाब से बिक्री की जानी है और उसकी राशि मिड डे मील की व्यवस्था देखने वाले सरस्वती वाहिनी शिक्षा समिति के खाते में जमा की जानी है।
गिरिडीह के जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा इस बाबत 24 अप्रैल को लिखी गई चिट्ठी में इसका खुलासा हुआ। इसमें इस कार्य को टॉप प्रायोरिटी के तौर पर मार्क किया गया है। इस चिट्ठी के बाद सभी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियों ने स्कूलों के शिक्षकों पर बोरियों का हिसाब तुरंत जमा करने को कहा है। शिक्षक पिछले छह साल में आए अनाज की बोरियों का हिसाब लगाने में जुटे हैं। ऐसी चिट्ठियां गिरिडीह के अलावा हजारीबाग और अन्य जिलों में भी निकाली गई हैं। (आईएएनएस)