नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने खनन पट्टा (mining lease) मामले की जांच संबंधी जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य बताने वाले उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) एवं राज्य सरकार की याचिकाओं को सोमवार को स्वीकार कर लिया।
न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय के तीन जून के आदेश को भी दरकिनार कर दिया। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता पर राज्य के खनन मंत्री रहते हुए खुद को खनन पट्टा देने का आरोप लगाया गया है। सोरेन ने न्यायालय के फैसले के बाद ट्वीट किया, ‘सत्यमेव जयते।’ पीठ ने कहा, ‘हमने इन दो याचिकाओं को अनुमति दे दी है और जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य नहीं ठहराते हुए झारखंड उच्च न्यायालय के तीन जून, 2022 को पारित आदेश को दरकिनार कर दिया है।’
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस आर भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर झारखंड सरकार और सोरेन की अलग-अलग याचिकाओं पर 17 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय को खनन पट्टा मामले में सोरेन के खिलाफ जांच का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर कार्यवाही करने से रोक दिया था।
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि उच्च न्यायालय ने उसके समक्ष सभी दस्तावेज पेश किए जाने से पहले ही याचिका पर विचार करने का फैसला कर लिया। सोरेन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने जनहित याचिका दायर करने वाले व्यक्ति की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए थे।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा था कि फौजदारी याचिकाएं तकनीकी आधार पर न्यायिक अवलोकन से बाहर नहीं रखी जा सकतीं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस साल फरवरी में दावा किया था कि सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग किया और खुद को एक खनन पट्टे से फायदा पहुंचाया। उन्होंने आरोप लगाया था कि इस मुद्दे में हितों का टकराव और भ्रष्टाचार, दोनों शामिल हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है।
निर्वाचन आयोग ने विवाद का संज्ञान लेते हुए मई में सोरेन को एक नोटिस भेज कर उन्हें जारी किये गये खनन पट्टे पर उनका स्पष्टीकरण मांगा था। यह पट्टा उन्हें उस वक्त जारी किया गया था, जब खनन एवं पर्यावरण विभाग उनके पास था।
झारखंड उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं में खनन पट्टा प्रदान किये जाने में कथित अनियमितताओं की जांच का अनुरोध किया गया था। साथ ही, मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों एवं सहयोगियों से कथित तौर पर संबद्ध कुछ फर्जी कंपनियों के लेनदेन की भी जांच का आग्रह किया गया था। (भाषा)