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एमसीडी में सदस्यों के मनोनयन मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आठ मई को सुनवाई

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी MCD) में 10 सदस्यों को मनोनीत करने के उप राज्यपाल के अधिकार को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर वह आठ मई को सुनवाई करेगा।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि उप राज्यपाल कार्यालय की ओर से पक्ष रख रहे वकील ने पत्र देकर कार्यवाही स्थगित करने का अनुरोध किया है। पीठ ने कहा, हम तब इसे सोमवार, आठ मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे। उप राज्यपाल की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रख रहे थे और दिल्ली सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी पेश हुए।

शीर्ष अदालत ने इस बारे में पहले मौखिक रूप से कहा था कि उप राज्यपाल एमसीडी में 10 सदस्यों को मनोनीत करने में मंत्रिपरिषद की सलाह और सहायता के बिना किस तरह काम कर सकते हैं। इससे पहले न्यायालय ने दिल्ली सरकार की उस अर्जी पर नोटिस जारी किया था जिसमें 10 सदस्यों के मनोनयन को रद्द करने का अनुरोध किया गया था।

उप राज्यपाल कार्यालय ने कहा था कि शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के 2018 के फैसले के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (जीएनसीटीडी) कानून की धारा 44 में संशोधन किया गया। उप राज्यपाल की ओर से विधि अधिकारी ने कहा, संशोधन के मद्देनजर एक अधिसूचना जारी की गयी थी जिसे एक अलग याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। उन्होंने कहा कि हलफनामा के माध्यम से जवाब दाखिल किया जाएगा।

दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे सिंघवी ने दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि वे साफतौर पर गलत हैं और उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 239एए की संवैधानिक व्याख्या को किसी विधान को बदलकर नकारा नहीं किया जा सकता। (भाषा)

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