जयपुर। सचिन पायलट के कट्टर समर्थक राजस्थान के वन मंत्री हेमाराम चौधरी (Hemaram Choudhary) ने वरिष्ठ नेताओं को सलाह देते हुए कहा है कि युवाओं को मौका प्रदान करें, नहीं तो वे अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे और उसे छीन लेंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) के खेमों के बीच जारी खींचतान के बीच चौधरी के बयान को गहलोत सरकार के लिए खुली चेतावनी माना जा रहा है।
मंत्री ने कहा, हम, जो लोग 1980 के दशक से सत्ता में हैं, संगठन में पदों पर हैं, अब हमें युवाओं को अवसर देने पर विचार करने की जरूरत है। चौधरी ने सरकार के मंत्रियों के साथ सोमवार और मंगलवार को जयपुर में होने वाले दो दिवसीय चिंतन शिविर के बजाय पायलट के किसान सम्मेलन में जाकर सभी को चौंका दिया। उन्होंने कहा, अगर हम युवाओं के लिए नहीं सोचेंगे, तो वे धक्का मार देंगे और कब्जा कर लेंगे। फिर हमारा सम्मान क्या होगा? हमारा सम्मान इस बात में है कि हम युवाओं को मौका दें। चौधरी सोमवार को परबतसर में सचिन पायलट के साथ किसान सम्मेलन में बोल रहे थे।
राजनीति कभी सेवा का माध्यम थी, लेकिन अब यह एक पूर्ण व्यवसाय बनता जा रहा है। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। मैं 1973 से राजनीति में हूं और 1980 में पहला चुनाव लड़ा। मैं 75 साल का हूं। अगर मैं दूसरों को मौका नहीं देता तो यह अनुचित होगा। मंत्री ने बिजली की कमी को लेकर राज्य सरकार पर भी निशाना साधा और कहा, ‘राज्य में बिजली की स्थिति दयनीय है, हम सत्ता में हैं, लेकिन हम कह नहीं सकते। अगर किसानों को बिजली की समस्या के बारे में पहले बता दिया होता, तो उन्हें यह समस्या नहीं होती।’
चौधरी ने कहा, किसानों, मजदूरों और युवाओं को धैर्यपूर्वक सुनना होगा। केवल पैसे वालों की बात सुनने से काम नहीं चलेगा। जनता आपको नहीं बख्शेगी। मैंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में सचिन पायलट जैसा संघर्षशील नेता नहीं देखा।
पायलट ने दो साल यानी 2020 तक उपमुख्यमंत्री के रूप में जनता की सेवा की, लेकिन उसके बाद के हालात से सभी वाकिफ हैं, आज वह केवल विधायक हैं, न तो संगठन में उनका कोई पद है और न ही सरकार में। इसके बावजूद उन्हें सुनने के लिए इतनी बड़ी भीड़ उमड़ी, यह दिखाता है कि जनता का अपार प्यार उनके साथ है।
राजनीतिक विशेषज्ञ चौधरी के बयानों के मायने समझने की कोशिश कर रहे हैं। सचिन पायलट ने इस साल की पहली राजनीतिक बैठक में जिस तरह के तेवर दिखाए हैं, उससे कांग्रेस में मतभेद गहराने के आसार नजर आ रहे हैं।
पूरे भाषण में चौधरी ने गहलोत और सरकार से जुड़े ज्यादातर मुद्दों को उठाया। इस नई राजनीतिक रणनीति में पायलट ने फिर से किसान सम्मेलनों के माध्यम से मैदान पर सक्रिय होना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के एक दिग्गज ने कहा, यह निश्चित रूप से दो खेमों के बीच विभाजन को गहरा करेगा। (आईएएनएस)