मेरा लेखन पूरी तरह स्वतंत्र: सुधा मूर्ति

मेरा लेखन पूरी तरह स्वतंत्र: सुधा मूर्ति

जयपुर। लेखिका और समाज सेवी तथा पद्मश्री से सम्मानित सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) का कहना है कि उनका लेखन पूरी तरह से स्वतंत्र है और उस पर किसी भी प्रकार से उनके पति की छाप नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि उनके पति नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) की कंपनी इंफोसिस ने उनके ‘कैनवास’ का दायरा बढ़ाने में मदद जरूर की, लेकिन उनका लेखन करियर पूरी तरह से उनका अपना रहा है।

गैर-लाभकारी संगठन इंफोसिस फाउंडेशन (Infosys Foundation) की अध्यक्ष सुधा मूर्ति ने शुक्रवार को यहां जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (Jaipur Literature Festival) में एक सत्र में भाग लेते हुए कहा कि अगर उनके पति की धन संपदा नहीं होती तो वह समाजसेवा नहीं कर सकती थीं। अंग्रेजी और कन्नड़ भाषा में धुआंधार लिखने वाली मूर्ति ने कई उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा संस्मरण और लघु कहानी संग्रह लिखे हैं। उन्होंने बच्चों के लिए आठ किताबें भी लिखी हैं, जो बेस्टसेलर रही हैं। इनमें ‘हाउ आई टॉट माई ग्रांड मदर टू रीड,’ ‘द गोपीज डायरी’, और ‘हाउ दि अनियन गॉट इट्स लेयर्स’ शामिल हैं।

सुधा मूर्ति ने जेएलएफ के दूसरे दिन ‘माई बुक्स एंड बिलीफ्स’ नामक सत्र के दौरान कहा, “मेरा लेखन मूर्ति (नारायण मूर्ति) के लेखन से स्वतंत्र है। यह मेरे भीतर का रचना संसार है और जो कुछ भी मैं लिखती हूं, उसका इंफोसिस से कोई संबंध नहीं है।” उन्होंने कहा, “इंफोसिस ने समाज सेवा से जुड़े कार्य करने में मेरी काफी मदद की है। इंफोसिस और मूर्ति के पैसे के बिना मैं समाज सेवा नहीं कर सकती थी। लेकिन मेरा लेखन पूरी तरह से मेरा अपना है।”

71 वर्षीय लेखिका ने अपनी उपलब्धियों के लिए अपने पति का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा, “थैंक्यू नारायण मूर्ति।” सुधा मूर्ति ने चुटकी लेते हुए कहा, “जब मैंने उनसे शादी की थी, तब वह बेरोजगार थे। मैंने एक अच्छा निर्णय लिया। मैं बेहतर निर्णय लेती हूं। मैं अर्थशास्त्र में अच्छी नहीं हूं, लेकिन मैं दुनिया की सबसे अच्छी निवेशक हूं। मैंने 10,000 रुपये दिए और आज देखो!”

टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (टेल्को) द्वारा नियुक्त की जाने वाली पहली महिला इंजीनियर सुधा मूर्ति ने कहा कि महिलाओं के लिए यह सब संभव है। उन्होंने कहा, “ऐसा करना संभव है (महिलाओं के लिए) लेकिन कभी-कभी मुझे लगता है कि कहानी कहने के जादू ने मुझे यहां तक पहुंचाया है… एक शिक्षिका होने के नाते मुझे पता है कि 45 मिनट तक कक्षा को कैसे बांधे रखना है।”

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सुधा मूर्ति अपने दामाद ऋषि सुनक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने से बहुत खुश हैं, लेकिन वह कहती हैं कि रिश्ते पद या सत्ता के मोहताज नहीं होने चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि वह सुनक की राजनीति या 10 डाउनिंग स्ट्रीट (ब्रिटेन का प्रधानमंत्री कार्यालय) में हस्तक्षेप नहीं करतीं।

यह पूछे जाने पर कि उनके दामाद ऋषि सुनक ब्रिटेन के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं, इससे वह कैसा महसूस करती हैं, मूर्ति ने कहा कि वह खुश हैं, लेकिन उनके रिश्ते सत्ता के पदों से बहुत परे की चीज हैं। उन्होंने कहा, “कोई भी सास खुश होगी कि उसका दामाद प्रधानमंत्री है। लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं। वह अपने देश में अपने लोगों की सेवा कर रहे हैं और मैं अपने देश में अपने लोगों की सेवा कर रही हूं।”

सुधा मूर्ति ने कहा, “पद तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन रिश्ते वैसे ही रहने चाहिए। मेरे लिए, वह हमेशा मेरे दामाद रहेंगे। वह जो भी काम करें, मैं हमेशा उनके लिए अच्छे की कामना करती हूं; मैं उनकी राजनीति में या 10 डाउनिंग स्ट्रीट में हस्तक्षेप नहीं करती।” सुधा मूर्ति ने कहा कि सुनक के प्रधानमंत्री बनने के बाद से वह उनसे नहीं मिली हैं। उन्होंने हंसते हुए कहा, “वह बहुत व्यस्त हैं और मैं भी।” (भाषा)

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