नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttarakhand High Court) ने उत्तराखंड परिवहन निगम (Uttarakhand Transport Corporation) की देहरादून के हरिद्वार रोड पर मौजूद बहुमूल्य पांच एकड़ जमीन के मामले में सख्त रूख अख्तियार करते हुए सरकार को भूमि के व्यावसायिक उपयोग को लेकर ठोस प्रस्ताव पेश करने के पुनः निर्देश दिये हैं।
उत्तराखंड कर्मचारी यूनियन की ओर से दायर जनहित याचिका पर विगत शुक्रवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में सुनवाई हुई। आदेश की प्रति आज मिली। अदालत परिवहन निगम की ओर से स्थगनादेश खारिज करने को लेकर दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई कर रही है। अदालत ने पिछली सुनवाई पर निगम को भूमि के व्यावसायिक उपयोग (commercial use of land) को लेकर ठोस प्रस्ताव अदालत के समक्ष पेश करने को कहा था लेकिन निगम की ओर से किसी प्रस्ताव की प्रति अदालत में पेश नहीं की जा सकी।
हालांकि कर्मचारी यूनियन की ओर से पेश प्रतिशपथ पत्र में कहा गया कि सरकार स्मार्ट परियोजना लि0 नामक कंपनी को भूमि को बेचने की साजिश रच रही है। यह भी कहा गया है कि कंपनी ने मौके पर काम शुरू कर दिया है। अदालत की रोक के बावजूद कुछ भवनों को तोड़ा जा चुका है। इस मामले की पुष्टि के लिये हाल में ली गयी कुछ तस्वीर भी अदालत में पेश की गयीं।
कर्मचारी यूनियन की ओर से यह भी कहा गया कि 200 करोड़ से अधिक मूल्य की संपत्ति को मात्र 114.20 करोड़ में बेचा जा रहा है। याचिकाकर्ता यूनियन की ओर से यह भी कहा गया कि इस समय निगम के सामने किसी प्रकार का वित्तीय संकट भी नहीं है। ऐसे में भूमि को खुर्द बुर्द किया जाना उचित नहीं है। इसका निगम हित में व्यावसायिक उपयोग किया जाना चाहिए।
यूनियन के महासचिव अशोक चौधरी की ओर से दिये गये प्रतिशपथ पत्र में कहा गया कि यह अदालत की अवमानना है। यूनियन की ओर से दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग भी गयी। कर्मचारी यूनियन की ओर से मौके पर जांच के लिये कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने और जमीन का असली मूल्यांकन के लिये स्वतंत्र कमेटी बनाने की बात भी कही गयी है। फिलहाल अदालत ने सरकार को एक और मौका देते हुए जमीन के उपयोग के मामले में ठोस प्रस्ताव पेश करने को कहा है। तब तक भूमि को बेचने के मामले में रोक जारी रहेगी। इस मामले में 10 जनवरी को अगली सुनवाई होगी। (वार्ता)