नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने उत्तराखंड सिविल सेवा परीक्षा (Uttarakhand Civil Services Examination) में राज्य की महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देने वाले 2006 के एक शासकीय आदेश पर उच्च न्यायालय (High Court) द्वारा लगाई गई रोक शुक्रवार को हटा दी।
न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन ने विषय में नोटिस जारी किया और उत्तराखंड सरकार की याचिका पर जवाब मांगा। उत्तराखंड सरकार ने उच्च न्यायालय के 24 अगस्त 2022 के आदेश के खिलाफ शीर्ष न्यायालय का रुख किया था।
उच्च न्यायालय ने राज्य से बाहर की करीब दर्जन भर महिलाओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया था। ये महिलाएं अनारक्षित श्रेणी के तहत आती थी।याचिका में कहा गया कि उन्हें राज्य (सिविल) सेवा की मुख्य परीक्षा में उपस्थित होने की अनुमति नहीं दी गई, जबकि तीन मार्च 2022 को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में राज्य की महिलाओं के लिए निर्धारित ‘कट-ऑफ’ से अधिक अंक उन्होंने हासिल किये थे।
याचिका में दलील दी गई कि उत्तराखंड सरकार के पास मूल निवास आधारित आरक्षण मुहैया करने का अधिकार नहीं है और संविधान सिर्फ संसद द्वारा बनाये गये कानून के द्वारा ही मूल निवास स्थान के आधार पर आरक्षण देने की अनुमति देता है। (भाषा)