नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी, एनआईए को फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने एनआईए की अपील खारिज करते हुए अपना आदेश वापस लेने से इनकार कर दिया और साथ ही कहा कि नवलखा को 24 घंटे के अंदर जेल से निकाल कर उस परिसर में स्थांतरित किया जाए, जहां उनको हाउस अरेस्ट किया जाना है। अदालत ने 10 नवंबर को खराब सेहत के आधार पर नवलखा को घर में नजरबंद करने का आदेश दिया था।
इससे पहले एनआईए ने दावा किया था कि नवलखा ने भ्रामक जानकारी दी थी और वे उस जगह पर रहना चाहते हैं, जहां कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया यानी सीपीआई का पुस्तकालय है। इस आधार पर एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह नवलखा को हाउस अरेस्ट करने का अपना आदेश वापस ले। इस पर, जस्टिस जोसेफ ने सवालिया लहजे में कहा- तो क्या, सीपीआई एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल नहीं है? एनआईए का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि नवलखा द्वारा हाउस अरेस्ट के लिए चुने गए स्थान में एक से अधिक निकास हैं और परिसर में मुख्य प्रवेश द्वार के अलावा अन्य निकासों को सील करना आवश्यक है।
इस पर सर्वोच्च अदालत ने एनआईए को इमारत की पहली मंजिल को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त सुरक्षा उपायों को तैनात करने के लिए कहा और नवलखा के वकील से कहा कि इन उपायों को लागू किया जाए। अदालत ने आदेश दिया कि नवलखा को 24 घंटे के भीतर हाउस अरेस्ट परिसर में स्थानांतरित कर दिया जाए। सुनवाई के दौरान, पीठ ने कहा- यदि आप पूरे पुलिस बल के साथ 70 वर्षीय बीमार व्यक्ति पर नजर नहीं रख सकते हैं, तो कमजोरी के बारे में सोचें, कृपया ऐसा न कहें।
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