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दिल्ली के मनोनीत पार्षद वोट नहीं डाल पाएंगे

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम के मेयर के चुनाव मामले में बड़ा फैसला दिया है। सर्वोच्च अदालत ने आम आदमी पार्टी को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की ओर से दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि मेयर चुनाव में राज्यपाल की ओर से मनोनीत 10 पार्षद यानी एल्डरमैन वोट नहीं करेंगे। गौरतलब है कि सात दिसंबर को आए नतीजे के बाद पार्षदों की तीन बार बैठक हो चुकी है लेकिन मेयर, उप मेयर और स्थायी समितियों के चुनाव अभी तक नहीं हुए हैं।

इस मामले को निपटाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम एमसीडी और एलजी की ये दलील नहीं मान रहे कि पहली मीटिंग में मनोनीत पार्षद वोट कर सकते हैं। अदालत ने साथ ही 24 घंटे के अंदर मेयर के चुनाव के लिए मीटिंग की तारीख तय करने को भी कहा। अदालत के इस फैसले से भाजपा के अपना मेयर बनाने की योजना को बड़ा झटका लगा है। चुनाव हारने के बाद से ही भाजपा दावा कर रही थी कि मेयर उसका ही बनेगा।

अदालत ने 24 घंटे में मेयर चुनाव की तारीख तय करने को कहा है। अदालत ने मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में मनोनीत सदस्यों को मतदान करने की अनुमति देने के फैसले को चुनौती देने वाली आप उम्मीदवार डॉ. शैली ओबेरॉय की ओर से दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि पहले मेयर का चुनाव हो और उसके बाद डिप्टी मेयर और स्थायी समितियों के चुनाव होंगे। चुनाव में हो रही देरी पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- देश की राजधानी में ये हो रहा, अच्छा नहीं लगता।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्विट कर कहा- सुप्रीम कोर्ट का आदेश जनतंत्र की जीत है। सुप्रीम कोर्ट का बहुत बहुत शुक्रिया। ढाई महीने बाद अब दिल्ली को मेयर मिलेगा। ये साबित हो गया है कि एलजी और बीजेपी मिल कर आए दिन दिल्ली में कैसे गैरकानूनी और असंवैधानिक आदेश पारित कर रहे हैं।

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