
मुंबई। महाराष्ट्र में राजनीति दिलचस्प होने वाली है। शिव सेना के मना करने के बावजूद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बाला साहेब ठाकरे को याद करके शपथ ली और उनके हिंदुत्व को आगे ले जाने का संकल्प जताया। उनकी इस राजनीति से शिव सेना को मुश्किल होगी। एक शिव सैनिक के मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे के लिए पार्टी पर नियंत्रण बनाए रखना भी मुश्किल होगा। हालांकि शिंदे के सीएम बनने के बाद भी शिव सेना ने उन्हें समर्थन देने की बजाय रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने की बात कही है।
इससे पहले गुरुवार को दिन में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फड़नवीस ने अलग अलग प्रेस कांफ्रेंस की। इस दौरान एकनाथ शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र के विकास के लिए हम बीजेपी के साथ आए हैं। उन्होंने कहा- मैं बाला साहेब के हिंदुत्व को आगे लेकर जाऊंगा। हमारी सरकार का उद्देश्य राज्य में विकास कार्य को आगे बढ़ाने का होगा। बीते ढाई साल से राज्य में कई विकास परियोजनाओं बंद पड़ी हैं, इन सभी परियोजाओं को हम फिर से शुरू करेंगे।
शिंदे ने कहा- हमारे मन में किसी मंत्री पद का स्वार्थ नहीं था। हम जो कुछ कर रहे हैं वो राज्य के हित के लिए कर रहे हैं। हम महाअघाड़ी के साथ रह कर कुछ नहीं कर पा रहे थे। हमें राज्य के लिए काफी कुछ करना है इसलिए ये फैसला लिया गया। एकनाथ शिंदे से पहले देवेंद्र फड़नवीस ने प्रेस कांफ्रेंस की, जिसमें उन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा- हमे 2019 में 105 सीटें मिली थी, उस चुनाव से पहले हमारा और शिव सेना का गठबंधन था। सरकार बनाने के लिए शिव सेना ने एनसीपी, कांग्रेस से गठबंधन करके बीजेपी को अलग कर दिया। उस समय जो सरकार बनी उसने बहुमत का अपमान किया।