नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू होगा और उससे एक दिन पहले रविवार को विपक्षी पार्टियों ने साफ कर दिया कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी का मुद्दा उठाएंगी। विपक्ष ने पेगासस जासूसी मामला उठाने की भी बात कही। सत्र शुरू होने से एक दिन पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में 31 पार्टियों ने हिस्सा लिया और संसद में उठाए जाने वाले सभी मसलों पर चर्चा हुई।
बैठक के बाद राज्यसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में कम से कम 15-20 विषयों पर चर्चा हुई। सभी पार्टियों ने केंद्र सरकार से कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी और इलेक्ट्रिक बिल पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। विपक्षी पार्टियों ने एमएसपी पर कानून बनाने की मांग की। खड़गे ने कहा- बैठक में महंगाई, ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी, किसानों के मुद्दों और कोरोना सहित कई मुद्दों को उठाया गया। सभी दलों ने एमएसपी की गारंटी वाला कानून बनाने की मांग की।
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खड़गे ने कहा- हमने सरकार से कहा कि कोरोना से जान गंवाने वालों के परिवारों को चार लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। साथ ही कृषि कानूनों के विरोध के दौरान जिनकी मौत हुई है, उन किसानों को भी मुआवजा दिया जाए। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा- सरकार ने कृषि कानूनों को वापस ले लिया है लेकिन मोदी ने कहा था कि वे किसानों को समझा नहीं सके। इसका मतलब है कि भविष्य में इन कानूनों को किसी और रूप में वापस लाया जा सकता है।
बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में 31 पार्टियों ने हिस्सा लिया। विभिन्न दलों के 42 नेता बातचीत में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि सरकार हर उस मसले पर चर्चा के लिए तैयार है, जिस पर स्पीकर ने मंजूरी दी है। इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को कहा था कि सरकार तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने का बिल सोमवार को सदन में पेश करेही। केंद्रीय कैबिनेट ने इन्हें वापस लेने की मंजूरी दे दी है।
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