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कश्मीर के मुद्दे पर Pakistan के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फिर उगला जहर, कहा - पाकिस्तान Kashmir के साथ है

ByNaya India,
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कश्मीर के मुद्दे पर Pakistan के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फिर उगला जहर, कहा - पाकिस्तान Kashmir के साथ है
इस्लामाबाद | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ( Pakistan PM Imran Khan on Kashmir 13 July 1931 ) ने एक बार फिर से कश्मीर के मुद्दे पर जहर उगला है। इमरान ने आज सुबह किए अपने ट्वीट में कहा है कि कश्मीरियों का संघर्ष न्यायसंगत है और पाकिस्तान कश्मीर के लोगों के साथ खड़ा है। वह तब तक समझौता नहीं करेगा, जब तक कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार नहीं मिल जाता। कश्मीर शहादत दिवस के अवसर पर आया पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का यह बयान सियासी हलकों में खासा मायने रखता है। जॉनसन एंड जॉनसन की Covid 19 Vaccine को झटका! FDA ने दी ये चेतावनी इमरान ने अपने उर्दू में किए ट्वीट में PM Imran Khan Kashmir कहा कि शहीद दिवस के अवसर पर, हम कश्मीर के लोगों और 13 जुलाई, 1931 के 22 शहीदों को सलाम करते हैं, जो डोगरा के महाराजा के सैनिकों द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी के अवसर पर शहीद हुए थे। इमरान ने अपने एक और ट्वीट में लिखा है कि प्रतिरोध की यह निडर और स्वतंत्र भावना पूरी तरह से जीवित है कि कश्मीरी पुरुष और महिलाएं अवैध भारतीय वर्चस्व के खिलाफ अग्रिम पंक्ति में हैं। इस न्यायसंगत संघर्ष में पाकिस्तान कश्मीर के लोगों के साथ खड़ा है और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के आलोक में तब तक समझौता नहीं करेगा जब तक कि उन्हें आत्मनिर्णय का अधिकार नहीं मिल जाता। Rajasthan में Covid 19 से अबतक की सबसे बड़ी राहत, 24 घंटे में सिर्फ 33 केस, एक भी मौत नहीं 13 जुलाई 1931 को हुए तत्कालीन महाराजा वाली राजशाही सरकार के खिलाफ विरोध और उसके बाद उपजे तनाव से पनपे हिन्दु मुस्लिम तनाव को एक बार फिर से इस तरह याद करके इमरान खान ने सीधे तौर पर तनाव को ही बढ़ावा दिया है। Pakistan FATF यह था 1931 का आन्दोलन 1931 में ब्रिटिश राज में जम्मू और कश्मीर की रियासत में महाराजा सरकार के खिलाफ व्यापक आंदोलन हुआ। लोगों की चिंताओं की जांच के लिए महाराजा को ग्लैंसी कमीशन नियुक्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा। जम्मू और कश्मीर प्रजा सभा (विधान सभा) की शुरूआत सहित विभिन्न राजनीतिक सुधारों को अपनाया गया। हुआ यूं था कि 13 जुलाई 1931 को, अब्दुल कादिर के मुकदमे को देखने के लिए हजारों कश्मीरी श्रीनगर की केंद्रीय जेल में जमा हो गए। वहां उपजे विवाद के बाद गोलीबारी में कुल 22 लोग मारे गए थे। बाद में खासा विरोध—प्रदर्शन और लूटपाट हुई। हिंसा कश्मीर प्रांत और जम्मू में फैल गई। लगभग 500 सैनिकों की संख्या वाली तीन ब्रिटिश कंपनियों को महाराजा हरि सिंह का समर्थन करने और कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए भेजा गया था। इस घटना के कारण युवा शेख अब्दुल्ला का उदय हुआ, और महाराजा के साथ उनकी प्रतिद्वंद्विता 1947 तक जारी रही।
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