
नई दिल्ली। शिव सेना के बागी विधायकों के खिलाफ महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी ने सुपरीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की है। शिव सेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में नई सरकार बनने के बाद उनके गुट के 39 विधायकों के खिलाफ याचिका दायर की गई है। इसमे अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह इन 39 विधायकों को विधानसभा में जाने से रोके। अदालत ने इस पर सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख तय की है, जबकि शिंदे सरकार को सोमवार को ही बहुमत साबित करना है।
महा विकास अघाड़ी की याचिका में कहा गया है कि वैसे विधायक, जिनके खिलाफ अभी सुनवाई चल रही है या बाकी है, उनके विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख तय की है, जबकि उससे पहले नए स्पीकर का चुनाव होना है और सरकार को बहुमत साबित करना है। अगर स्पीकर के चुनाव और शक्ति परीक्षण में बागी विधायक हिस्सा लेते हैं तो इससे शिंदे गुट की जीत सुनिश्चित होगी।
शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद महा विकास अघाड़ी ने कहा- बागी विधायक बीजेपी के मोहरे के रूप में काम कर रहे हैं। साथ ही जो दलबदल का संवैधानिक पाप कर रहे हैं, उन्हें विधानसभा के सदस्य के रूप में बने रहने की अनुमति देकर एक दिन के लिए भी अपने पाप को कायम रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की ओर से कहा गया है कि एकनाथ शिंदे की बगावत के बावजूद शिव सेना उद्धव ठाकरे की ही है। उन्हें 23 जून को शिव सेना के संगठनात्मक चुनाव में पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था और 27 जून को चुनाव आयोग को इस बाबत विधिवत सूचित किया गया था।
इस बीच खबर है कि उद्धव ठाकरे का खेमा एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने की तैयारी में है। उद्धव खेमे ने कहा कि केवल फ्लोर टेस्ट निर्धारित था। ऐसे में अयोग्यता को लेकर 12 जुलाई तक कोई फैसला नहीं होना चाहिए। उनकी ओर से कहा गया कि जब तक अयोग्यता का फैसला नहीं हो जाता, उन्हें निलंबित रखें। गौरतलब है कि डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल की ओर से 16 बागी विधायकों को दिए गए अयोग्यता के नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनको 11 जुलाई तक का समय दिया है।