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पीएम बैठक में पेट्रोल-डीजल विवाद

ByNI Desk,
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पीएम बैठक में पेट्रोल-डीजल विवाद
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के बढ़ते केसेज को लेकर विचार के लिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई थी। लेकिन खुद प्रधानमंत्री की एक टिप्पणी के बाद पूरी बैठक पेट्रोल और डीजल की कीमतों की बहस में उलझ गई। प्रधानमंत्री ने देश और नागरिकों के हित में राज्यों से पेट्रोल और डीजल पर स्थानीय कर कम करने को कहा। इससे नाराज कांग्रेस सहित कई दूसरी विपक्षी पार्टियों ने तीखी टिप्पणी की। कांग्रेस ने कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क को यूपीए सरकार के स्तर पर ले आए। प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को कोरोना पर बुलाई गई बैठक में कहा- केंद्र सरकार ने पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमत का बोझ कम करने के लिए उत्पाद कर में पिछले नवंबर में कमी की थी। उन्होंने कहा कि राज्यों से भी आग्रह किया गया था कि वे अपने यहां टैक्स कम करें ओर जनता को इसका लाभ दें। उन्होंने कहा- कुछ राज्यों ने तो अपने यहां टैक्स कम कर दिया लेकिन कुछ राज्यों ने अपने लोगों को इसका लाभ नहीं दिया। प्रधानमंत्री ने विपक्षी पार्टियों के शासन वाले राज्यों का जिक्र करते हुए कहा कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड, तमिलनाडु ने किसी न किसी कारण से केंद्र सरकार की बातों को नहीं माना और उन राज्यों के नागरिकों पर बोझ पड़ता रहा। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी की इस टिप्पणी पर तीखा पलटवार किया। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 18.42 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 18.24 रुपए प्रति लीटर की कटौती करे। उन्होंने ट्विट किया- मोदी जी, कोई आलोचना नहीं, कोई ध्यान भटकाना नहीं, कोई जुमला नहीं। कांग्रेस की सरकार में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.48 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 3.56 रुपए प्रति लीटर था। मोदी सरकार में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 27.90 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 21.80 रुपए प्रति लीटर है। इसलिए केंद्र सरकार पेट्रोल पर 18.42 रुपए और डीजल पर 18.24 रुपए प्रति लीटर कम करे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी प्रधानमंत्री को जवाब देते हुए कहा कि ये सच नहीं है कि राज्य के कारण पेट्रोल-डीजल महंगा हुआ है। मुंबई में एक लीटर डीजल पर टैक्स का हिस्सा केंद्र के लिए 24.38 रुपए और राज्य के लिए 22.37 रुपए है, जबकि पेट्रोल पर टैक्स का हिस्सा केंद्रीय कर के रूप में 31.58 रुपए और राज्य कर के रूप में 32.55 रुपए है। उन्होंने इसके साथ ही हजारों करोड़ रुपए के जीएसटी बकाए का मुद्दा भी उठाया। तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत रॉय ने कहा कि सरकार कीमतों पर कंट्रोल नहीं कर पा रही, इसलिए प्रधानमंत्री विपक्ष दल वाले राज्यों को दोषी ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र बकाया जीएसटी चुकाए और राज्यों से सौतेला व्यवहार बंद करे। सौगत राय ने कहा- प्रधानमंत्री को भाजपा के राजनीतिक हितों के लिए कोरोना मीटिंग का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था। हम इसकी निंदा करते हैं। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा- पीएम ने हेल्थ के बजाय पेट्रोल-डीजल पर ज्यादा बात की, जिससे ये राजनीतिक बैठक बन गई।
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