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पीके ने शुरू की पदयात्रा

ByNI Desk,
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पीके ने शुरू की पदयात्रा
पटना। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने पहले से घोषित कार्यक्रम के मुताबिक दो अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर जन सुराज पदयात्रा शुरू कर दी। उन्होंने बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के भितिहरवा गांधी आश्रम से अपनी पदयात्रा शुरू की। उनकी यह यात्रा करीब साढ़े तीन हजार किलोमीटर की होगी। यात्रा की शुरुआत के मौके पर पीके ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल के करीब तीन दशक के साझा कामकाज को लेकर निशाना साधा। प्रशांत किशोर ने ने कहा कि वे बिहार में नई राजनीतिक व्यवस्था बनाना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी साफ किया कि सही व्यक्ति मिलेगा, तभी दल बनाऊंगा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी लोगों की पार्टी होगी, जिसमें परिवारवाद नहीं चलेगा। पीके ने लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा- आपने जो यहां से पदयात्रा करने का मौका दिया है, उसके लिए शुक्रिया। मैं कोई नेता नहीं हूं, सामान्य लड़का हूं। सरकारी स्कूल से पढ़ा हूं। मैंने अमेरिका-अफ्रीका में काम किया है। मीडिया बताता है कि मैं दलों को जिताने-हराने का काम करता हूं। वो काम मैंने छोड़ दिया है। उन्होंने कहा- अब मैं बिहार में नई राजनीतिक व्यवस्था बनाना चाहता हूं। पिछले 30-40 सालों से कुछ नहीं बदला है। मंच से उन्होंने कहा-1990 में बिहार गरीब था, आज भी यह राज्य गरीब है। इस दौरान कभी लालू यादव को, नीतीश कुमार को तो कभी भाजपा को जिताया। मैं कोई वोट नही मांगने नहीं आया हूं। मैं आपके बीच से व्यक्ति को जिताना चाहता हूं। जो आपकी चिंता करे। यहां हर घर से पलायन है। यदि रोजगार की व्यवस्था होती तो लोगों पलायन करने की जरूरत नहीं होती हैं। प्रशांत किशोर ने कहा- बिहार में स्थिति तब बदलेगी, जब आपकी समस्या को लोग समझेंगे। आज मैं यहीं से यात्रा शुरू करूंगा। पैदल चलकर आपकी समस्या जानने के लिए चलकर जाएंगे। आपकी क्या समस्या है वो हम जानेंगे। आपके बीच में जो व्यक्ति आपकी समस्या जानेगा, वही आपका प्रतिनिधि बनेगा। उन्होंने कहा- मुझे कुछ आता है या नहीं आता है लेकिन मुझे चुनाव लड़ाना आता है। चुनाव लड़ेंगे तो दांत खट्टे कर देंगे। चुनाव लड़ेंगे तो जीत हमारी होगी, आपके बीच से जिसको चुनेंगे उसे जिताएंगे। उन्होंने कहा- मैं साढ़े तीन हजार किलोमीटर चलूंगा, आपकी समस्या समझूंगा। अगले डेढ़ साल तक नहीं रुकेंगे। अभी दल नहीं बनाया है। जब तक सही व्यक्ति मिलेगा, तभी दल बनाऊंगा। जो दल बनाएंगे वो सिर्फ मेरा नहीं होगा। वो सभी लोगों का दल होगा। परिवारवाद नहीं चलेगा।
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