समूचे विपक्ष पर अकेले मोदी भारी!

समूचे विपक्ष पर अकेले मोदी भारी!

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में भी गौतम अदानी या उनकी कंपनियों से जुड़े विवाद पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने अदानी का नाम तक नहीं लिया, जबकि उच्च सदन के नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अदानी समूह के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे और सरकार से जवाब मांगा था। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सरकार के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देने के लिए खड़े हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अदानी पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन विपक्ष पर तीखे तंज किए।

प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देने खड़े हुए तो कोई 90 मिनट तक भाषण दिया। हालांकि लोकसभा की तरह राज्यसभा में प्रधानमंत्री का भाषण बहुत सहज नहीं रहा। उनका भाषण शुरू होने से पहले ही विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी, जो उनके 90 मिनट के भाषण के दौरान लगातार जारी रही। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा- देश देख रहा है कि एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है। नारे बोलने के लिए भी लोग बदलने पड़ रहे हैं। मैं अकेला घंटे भर से बोल रहा हूं, रुका नहीं। उनके अंदर हौसला नहीं है, वो बचने का रास्ता ढूंढ रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- सदन में जो बात होती है, उसे देश गंभीरता से सुनता है, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों की वाणी न सिर्फ सदन को, बल्कि देश को निराश करने वाली है। ऐसे सदस्यों को यही कहूंगा कि कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाल। जो भी जिसके पास था, उसने दिया उछाल। जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही ज्यादा खिलेगा। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा- कांग्रेस ने विकास के मार्ग में सिर्फ बाधा पहुंचाई। भारत ने छह दशक खो दिए, जबकि छोटे देशों ने प्रगति की। मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी देश के सामने समस्याओं का स्थायी समाधान खोजने की कोशिश नहीं की।

उन्होंने कहा- कांग्रेस को बार-बार देश नकार रहा है, लेकिन वो अपनी साजिशों से बाज नहीं आ रहे हैं। जनता ये देख रही है और हर मौके पर उन्हें सजा देती रही है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा- कांग्रेस ने सही नीयत से आदिवासियों के कल्याण के लिए समर्पण से काम किया होता, तो 21वीं सदी के तीसरे दशक में मुझे इतनी मेहनत ना करनी पड़ती। किसानों के मसले पर उन्होंने कहा- किसानों के लिए क्या नीति थी। ऊपर के कुछ वर्ग को संभाल लेना और उन्हीं से अपनी राजनीति चलाना ही लक्ष्य था। छोटे किसान उपेक्षित थे, उनकी आवाज कोई नहीं सुनता था। हमारी सरकार ने छोटे किसानों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्हें बैंकिंग से जोड़ा और आज साल में तीन बार किसान सम्मान निधि उनके खातों में जमा होती है। उन्होंने आगे कहा- देश की आर्थिक सेहत के लिए राज्यों को भी अनुशासित होना होगा। तभी राज्य भी विकास की यात्रा का लाभ ले सकेंगे।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें