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मप्र में मतदान प्रतिशत से सियासी दल उलझन में

ByNI Desk,
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मप्र में मतदान प्रतिशत से सियासी दल उलझन में
भोपाल। मध्यप्रदेश में हो रहे विधानसभा के 28 क्षेत्रों के उपचुनाव में कोरोना के संकट के बावजूद हुए बेहतर मतदान ने राजनीतिक दलों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। दोनों ही दल मतदान प्रतिशत की समीक्षा कर रहे हैं, मगर दावे भी यही कर रहे हैं कि जीत तो उन्हीं की हो रही है। कोरोना संक्रमण के कारण आशंका इस बात की थी कि राज्य में मतदान का प्रतिशत कम रहेगा, मगर 28 विधानसभा क्षेत्रों में औसत तौर पर 70 फीसदी मतदान हुआ है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मतदान लगभग 73 प्रतिशत हुआ था। इस बार मतदान का प्रतिशत राजनीतिक दलों के अनुमान से कहीं ज्यादा है। मतदान के प्रतिशत को जो ब्यौरा सामने आया है वह बताता है कि नौ विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां 60 फीसदी से कम या करीब मतदान हुआ है, जबकि शेष विधानसभा क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत 65 से ऊपर रहा है। इस तरह राज्य 28 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान दो हिस्सों में हुआ है। एक 60 प्रतिशत से कम या करीब और दूसरा 65 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत से ऊपर तक। इसी स्थिति ने राजनीतिक दलों को मंथन करने को मजबूर कर दिया है। यह बात अलग है कि दोनों राजनीतिक दल अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। सूत्रों का कहना है कि दोनों राजनीतिक दलों ने जमीनी स्तर पर काम करने वाले पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से विधानसभा वार ब्यौरा मंगाया है और इस बात की समीक्षा की जा रही है कि आखिर पूरे प्रदेश में मतदान प्रतिशत में इतना बड़ा अंतर क्यों है। मतदान का जो प्रतिशत कम है वह ग्वालियर, मुरैना और भिंड के विधानसभा क्षेत्रों का है। यह इलाका कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का कहना है कि उपचुनाव में इतनी बड़ी संख्या में मतदान यह दर्शाता है कि जनता ने जनहितैषी शिवराज सरकार को स्थायित्व देने के लिए बढ़चढ़कर मतदान किया है। आने वाली 10 तारीख को भाजपा की ऐतिहासिक जीत होगी। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ का कहना है कि 10 नवंबर को जनता की सरकार बनना तय है।
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