नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में दोषी ठहराए गए एजी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया है। इससे पहले पिछली सुनवाई में अदालत ने इस मामले में सख्त रुख दिखाते हुए सरकार से जवाब मांगा था और कहा था कि वह पेरारिवलन को रिहा कर सकती है। बुधवार को सर्वोच्च अदालत ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा के तहत 30 साल से अधिक समय से जेल में बंद पेरारिवन को रिहा करने का आदेश दिया।
जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा- राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार विमर्श के आधार पर अपना फैसला किया था। अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा। गौरतलब है कि राज्य मंत्रिमंडल के फैसले को राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास भेज दिया था, जिस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए एजी पेरारिवलन को अदालत ने यह देखते हुए नौ मार्च को जमानत दे दी थी कि सजा काटने और पैरोल के दौरान उसके आचरण को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं मिली। सर्वोच्च अदालत पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनाई कर रही थी, जिसमें उसने मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी यानी एमडीएमए की जांच पूरी होने तक उम्रकैद की सजा निलंबित करने का अनुरोध किया था।
गौरतलब है कि तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बदुर में 21 मई, 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था, जिसमें राजीव गांधी मारे गए थे। महिला की पहचान धनु के तौर पर हुई थी। अदालत ने मई 1999 के अपने आदेश में चार दोषियों- पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी को मौत की सजा बरकरार रखी थी। सर्वोच्च अदालत ने 18 फरवरी 2014 को पेरारिवलन, संथन और मुरुगन की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था।
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