मुंबई। महंगाई की चिंता में भारतीय रिजर्व बैंक, आरबीआई ने अब कर्ज महंगा कर दिया है और कर्ज लेना मुश्किल भी कर दिया है। रिजर्व बैंक ने बुधवार को एक आपात बैठक करके नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है। इससे कर्ज की किस्तें महंगी हो जाएंगे। आवास और वाहन ऋण लेने वालों को अब ज्यादा ईएमआई भरना होगा। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर में भी बढ़ोतरी कर दी है, जिससे बैंकों के पास नकदी की कमी हो जाएगी और कर्ज मिलना मुश्किल होगा।
पिछले तीन महीने से खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक की ओर से तय की गई अधिकतम सीमा से ऊपर रहने की वजह से केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर और सीआरआर में बढ़ोतरी का फैसला किया है। आरबीआई ने रेपो रेट 0.40 अंक बढ़ा कर 4.40 कर दिया है। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने बुधवार को सीआरआर 0.50 फीसदी बढ़ा कर साढ़े चार फीसदी कर दिया। यह बढ़ोतरी 21 मई से प्रभावी होगी। सीआरआर में बढ़ोतरी से बैंकों में 87 हजार करोड़ रुपए की नकदी कम हो जाएगी। इससे लोन मिलने में मुश्किल होगी।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा करने वाली कमेटी हर दो महीने पर बैठक करती है और ब्याज दरों पर विचार करती है। लेकिन बिना किसी तय कार्यक्रम के मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी की बैठक बुधवार को हुई। बैठक में रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने सीआरआर बढ़ाए जाने की घोषणा की। सीआरआर वह रकम है, जिसे बैंकों को नकद रूप में केंद्रीय बैंक के पास रखने की जरूरत होती है।
रेपो रेट बढ़ाने से कर्ज की किस्तें इसलिए बढ़ेंगी क्योंकि रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक कॉमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है। इस दर में बढ़ोतरी का मकसद अर्थव्यवस्था में कर्ज प्रवाह को नियंत्रित करना है। इसका असर आवास ऋण और दूसरे तरह के कर्ज की ब्याज दर पर पड़ सकता है। बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बयान में कहा- खाद्य वस्तुओं की महंगाई ऊंचे स्तर पर बनी रहेगी, वैश्विक स्तर पर गेहूं की कमी से घरेलू स्तर पर गेहूं की कीमतों पर असर दिखाई दे रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य तेलों के दाम भी आगे और बढ़ सकते हैं।
निवेशकों के 6.27 लाख करोड़ डूबे
भारतीय रिजर्व बैंक, आरबीआई ने महंगाई काबू में करने के लिए नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो दर में बढ़ोतरी का फैसले किया और उसके तुरंत बाद बुधवार को शेयर बाजार औंधे मुंह गिर गया। बांबे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई और निफ्टी दोनों में भारी गिरावट हुई। इसका नतीजा यह हुआ कि शेयर बाजार के निवेशकों को 6.27 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।
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