कीव। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से दक्षिणी यूक्रेन में स्थित यूक्रेन का सबसे बड़ा काखोवका बांधी टूट गया है। पनबिजली के लिए यह बांध निप्रो नदी पर पांचवें दशक में बना था। बांध टूटने के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमले का आरोप लगाया है। इस बांध के टूटने से करीब एक सौ गांवों में बाढ़ आने और भारी तबाही होने का अंदेशा है।
यूक्रेन ने रूस पर आरोप लगाया है और मंगलवार को कहा रूस की ओर से किए गए विस्फोट की वजह से बांध टूटी है। वहीं रूस ने इस घटना के लिए यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया है। यूक्रेन के अधिकारियों ने मंगलवार को दिन में कहा कि अगले पांच घंटों में पानी गंभीर स्तर तक पहुंच सकता है। क्षेत्रीय गवर्नर ऑलेक्जेंडर प्रोकुडिन ने अपने टेलीग्राम चैनल पर एक वीडियो में कहा- पांच घंटे में पानी इलाके में व्यापक रूप फैल जाएगा।
निप्रो के पश्चिमी तट पर स्थित कई गांव और खेरसॉन शहर का एक हिस्सा बाढ़ के खतरे का सामना कर रहा है और लोगों से निकासी की तैयारी करने का आग्रह किया गया है। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो दिखाए जा रहे हैं, जिनमें बांध के अवशेष पानी में बह रहे हैं। हालांकि इनका सत्यापन नहीं हो पाया है। बताया जा रहा है कि बांध टूटने के कुछ ही घंटों में जलस्तर कई मीटर तक बढ़ गया।
इस घटना के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमीर जेलेंस्की ने हमले पर एक तत्काल बैठक के लिए यूक्रेन की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा परिषद को तलब किया है। काखोवका बांध, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की शुरुआत में कब्जा किया गया था। यह 2014 में मास्को द्वारा कब्जा किए गए क्रीमिया प्रायद्वीप को खासतौर से पानी की आपूर्ति करता है। इसके अलावा इसका जलाशय जाफोरोजिया परमाणु संयंत्र को ठंडा पानी भी देता है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, आईएईए ने कहा है कि बांध की विफलता के कारण संयंत्र में तत्काल परमाणु सुरक्षा जोखिम नहीं है, लेकिन वह स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है।
हालांकि शहर के मास्को समर्थित प्रशासन के प्रमुख व्लादिमीर लियोन्टीव ने कहा है कि नोवा काखोवका में रात भर में काखोवका बांध को निशाना बनाकर कई हमले किए। लियोन्टीव ने दावा किया कि उन्होंने बांध के गेट वाल्व को नष्ट कर दिया था और वो पानी के बेकाबू प्रवाह का कारण बना। इससे लग रहा है कि हमला रूस की ओर से किया गया हो सकता है।