नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय की नौ-सदस्यीय संविधान पीठ ने सोमवार को स्पष्ट किया कि वह केवल सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर ही नहीं, बल्कि मुस्लिम और पारसी महिलाओं के धार्मिक अधिकारों पर भी विचार-विमर्श करेगी।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली नौ-सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि वह उन्हीं मुद्दों पर सुनवाई तय करेगी, जो 14 नवम्बर 2019 को पांच सदस्यों की पीठ ने उसे सुपुर्द किया था। इनमें महिलाओं का मंदिर और मस्जिद, पारसी महिलाओं का अगियारी में प्रवेश और दाउदी बोहरा समुदाय में महिलाओं का खतना जैसे मसले शामिल हैं।
सबरीमला: महिलाओं के धार्मिक अधिकारों पर सुनवाई तीन हफ्ते टली
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