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Court Order: रेमडेसिविर बेचते पकड़े गए 2 निजी चिकित्सकों को कोर्ट ने दी ऐसा सजा की लोग करने लगे तारीफ

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Court Order: रेमडेसिविर बेचते पकड़े गए 2 निजी चिकित्सकों को कोर्ट ने दी ऐसा सजा की लोग करने लगे तारीफ
Surat: देश में कोरोना की दूसरी लहर कहर बरसा रही है. देश के  लोगों को कोरोना के साथ ही इलाज के दौरान जरूरत के सामान के लिए जूझना पड़ रहा है. सरकार और कोर्ट के द्वारा काला बाजारी पर रोक लगाने के फरमानों की काला बाजारों को बिल्कुल भी नहीं पड़ी.  इन सबसे बेपरवाह अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जो  थोड़े से पैसों के लिए अपना इमान बेच दे रहे हैं, जाता मामला गुजरात के सूरत शहर का है. यहां के एक निजी अस्पताल के 2 डॉक्टरों को रंगे हाथों रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते पकड़ा गया. जानकारी के अनुसार ये दोनों डॉक्टर लगातार रेमडेसिविर की कालाबाजारी कर रहे थे. इसकी सूचना मिलने के बाद पुलिस ने डॉक्टरों पर स्टिंग किया जिसमें वे रंगे हाथों पकड़े गये. सूरत पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पांच लोगों को 25 अप्रैल को पकड़ा था जिसमें डाभी और घोघारी भी थे.  पुलिस ने उनसे इंजेक्शन की तीन शीशियां भी बरामद की थीं.

कोर्ट ने भी सिखाया अच्छा सबक

पुलिस ने जब आरोपी डॉकटरों को पकड़ कर कोर्ट में पेश किया तो दोनों ने अपना अपराध कबूल कर लिया . इसके बाद  अदालत ने दोनों निजी चिकित्सकों को इस शर्त पर जमानत दी है कि वे सूरत सिविल अस्पताल में 15 दिन तक कोविड-19 रोगियों की देखभाल करेंगे. इस संबंध में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आर. ए. अग्रवाल ने बृहस्पतिवार को यह आदेश पारित किया. अदालत ने डॉ. साहिल घोघारी और डॉ. हितेश डाभी से कहा कि शुक्रवार से 15 दिन के लिए सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस रोगियों की सेवा करें। दोनों चिकित्सक सूरत के निवासी हैं और निजी तौर पर मेडिकल प्रैक्टिस करते हैं. इसे भी पढें- Supreme Court ने केंद्र सरकार पर लगाई सवालों की झड़ी, जानें क्या थे सवाल

15  दिन बाद रिपोर्ट पेश करने का दिया निर्देश

कोर्ट ने दोनों को जमानत देते हुए कहा कि  महामारी के कारण चिकित्सकों की कमी है. ऐसे में आप पर ही सबकुछ निर्भर है अगर आप ही लोगों के साथ गलत करना शुरू कर देंगे तो लोग कहां जाएंगे. कोर्ट ने आदेश दिया कि  दोनों चिकित्सकों को ‘‘कोविड-19 से पीड़ित लोगों का उपचार’’ करने के लिए सिविल अस्पताल में तैनात किया जाए. अदालत ने सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से कहा कि दोनों चिकित्सकों की सेवा हासिल करने के लिए आवश्यक प्रबंध किए जाएं.  15 दिन के बाद उनके काम को लेकर रिपोर्ट सौंपी जाए.  कोर्ट ने आरोपी चिकित्सकों को अदालत की अनुमति के बगैर गुजरात नहीं छोड़ने के आदेश दिए. इसे भी पढें-  Delhi CoronaVirus : AAP MLA शोएब इकबाल ने की दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग
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