नई दिल्ली। शिव सेना के विधायकों की अयोग्यता और विधानसभा के पीठासीन पदाधिकारी की शक्तियों से जुड़ी याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई करेगी। सर्वोच्च अदालत की तीन जजों की बेंच ने मंगलवार को इस मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया। पांच जजों की संविधान पीठ गुरुवार को इस मामले पर विचार करेगी। इस मामले से जुड़ी कुल पांच याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में हैं। इन पर सुनवाई के दौरान अदालत ने पहले ही इसे संविधान पीठ को भेजने का संकेत दिया था।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में शिव सेना के 40 विधायकों ने एक अलग गुट बना लिया है और भाजपा के समर्थन से बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए हैं। जिस समय शिव सेना में बगावत हुई थी उसी समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के गुट ने विधानसभा के डिप्टी स्पीकर से 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की अपील की थी। पार्टी के प्रस्ताव पर डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को नोटिस भेजा लेकिन उसका जवाब देने से पहले विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और सुप्रीम कोर्ट ने जवाब देने की सीमा दो हफ्ते बढ़ा दी। इस बीच राज्य में नई सरकार बन गई और नया स्पीकर चुन लिया गया।
इससे पहले बागी गुट का साथ दे रहे दो विधायकों ने डिप्टी स्पीकर को हटाने का नोटिस दिया था, जिसे तकनीकी आधार पर डिप्टी स्पीकर ने खारिज कर दिया था। विधायकों ने इस फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बाद में जब नई सरकार बन गई तो नए स्पीकर ने बागी गुट के कहने पर उद्धव ठाकरे गुट के 15 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी कर दिया। वह मामला भी सुप्रीम कोर्ट में है। सो, इन सारे मामलों पर विचार के बाद तीन जजों की बेंच ने इसे संविधान पीठ के पास भेजने का फैसला किया।
संविधान पीठ चुनाव आयोग के सामने चुनाव चिन्ह मामले की सुनवाई का मामला सुनेगी। गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे गुट ने खुद को असली शिव सेना कहते हुए चुनाव आयोग का रुख किया है। इसके विरोध में उद्धव ठाकरे गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को गुरुवार तक कोई कार्रवाई नहीं करने के आदेश दिए। इस सुनवाई से पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि कोर्ट में जो होगा वो देखा जाएगा। उन्होंने कहा- न्यायपालिका पर मुझे पूरा भरोसा है। विधायकों की अयोग्यता से ज्यादा इस मामले में शिव सेना पर कब्जे की लड़ाई अहम है। एकनाथ शिंदे खेमे ने खुद को असली शिव सेना के रूप में मान्यता देने और साथ ही पार्टी का चुनाव चिह्न तीर व धनुष आवंटित करने की मांग की है। इसके खिलाफ उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है।
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