नई दिल्ली। डोकलाम को लेकर दिए भूटान के प्रधानमंत्री के विवादित बयान के बीच मंगलवार को दोनों देशों के बीच शिखर वार्ता हुई। तीन दिन के भारत दौरे पर आए भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच तमाम दोपक्षीय मसलों पर बातचीत हुई। इससे पहले राष्ट्रपति भवन में उनका स्वागत किया गया और वे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिले। भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव और डोकलाम पर दिए विवादित बयान की वजह से भूटान नरेश की भारत यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
भूटान की सीमा भारत और चीन, दोनों से मिलती है और चीन के साथ उसका भी सीमा विवाद चल रहा है। डोकलाम को लेकर भूटान के प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों कह दिया था कि यह तीन देशों का विवाद है। बेल्जियम की एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में भूटान के पीएम थेरिंग ने कहा था- डोकलाम मसले का हल सिर्फ भूटान नहीं निकाल सकता। इस मामले से तीन देश जुड़े हैं। और इस मामले में किसी भी देश को छोटा नहीं माना जा सकता। सब बराबर के हिस्सेदार हैं। थेरिंग के बयान ने भारत की चिंता बढ़ा दी है।
बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी से भूटान नरेश की मुलाकात दोनों देशों के दोपक्षीय संबंधों में प्रगति का सबूत है। प्रधानमंत्री और भूटान नरेश के बीच हुई वार्ता के बाद विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने मीडिया को इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भूटान नरेश की भारत यात्रा को कई क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग को और विस्तार देने के तौर पर देखा जा रहा है। डोकलाम के मसले पर उन्होंने बताया कि भारत और भूटान सुरक्षा सहयोग को लेकर लगातार एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं।
क्वात्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और भूटान नरेश के बीच बैठक में राष्ट्रीय हित के कई मुद्दों समेत दोपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं को शामिल किया गया। इससे पहले सोमवार शाम विदेश मंत्री जयशंकर ने वांगचुक से मुलाकात की और उनसे दोपक्षीय विषयों पर वार्ता की। मुलाकात के बाद विदेश मंत्री ने ट्विट कर कहा कि भारत और भूटान के खास संबंधों पर भूटान नरेश के विचार बेहद उत्साहवर्धक हैं। वह दोनों देशों के संबंध बढ़ाने और उन्हें अधिक मजबूत बनाने के पक्षधर हैं।