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अदानी मामले में सरकार का प्रस्ताव नामंजूर

नई दिल्ली। अदानी और हिंडनबर्ग विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार का प्रस्ताव नामंजूर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की कमेटी के लिए सीलबंद लिफाफे में नाम देने के केंद्र के प्रस्ताव को नहीं माना है। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के कहने पर सरकार विशेषज्ञ समिति को तैयार हो गई थी। उस समय सरकार ने विशेषज्ञों के नाम सीलबंद लिफाफे में देने की पेशकश की थी। इस मामले में अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस प्रस्ताव को नामंजूर करते हुए कहा है कि वह पारदर्शिता चाहता है। इसलिए केंद्र का सुझाव नहीं माना जा सकता। अदालत ने कहा- आपने जो नाम सौंपे हैं, वह दूसरे पक्ष को नहीं दिए गए तो पारदर्शिता की कमी होगी। इसलिए हम अपनी तरफ से कमेटी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि हम आदेश सुरक्षित रख रहे हैं। कमेटी यह देखेगी कि स्टॉक मार्केट के रेगुलेटरी मैकेनिज्म में फेरबदल की जरूरत है या नहीं। अदालत ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पहले ही दिन कहा था कि उसकी चिंता यह है कि कैसे निवेशकों के हितों की रक्षा हो। इसके लिए अदालत ने ही कमेटी बनाने का सुझाव दिया था।

बहरहाल, अदानी और हिंडनबर्ग मामले में अभी तक चार जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। पहले सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों- एम एल शर्मा और विशाल तिवारी ने याचिका दायर की थी और सुनवाई भी इन्हीं दोनों की याचिका पर हुई थी। लेकिन बाद में मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने भी याचिकाएं दायर की हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पहली सुनवाई 10 फरवरी को की थी। दूसरी सुनवाई 13 फरवरी को हुई।

एमएल शर्मा ने याचिका में सेबी और केंद्रीय गृह मंत्रालय को हिंडनबर्ग रिसर्च के नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और एफआईआर करने के लिए निर्देश देने की मांग की है। विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की। जया ठाकुर ने इस मामले में एलआईसी  और एसबीआई की अदानी एंटरप्राइजेज में सार्वजनिक धन के निवेश की जांच की मांग की है। मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में सेबी, ईडी, आयकर विभाग और डीआरआई से जांच के निर्देश देने की मांग की है।

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