बेंगलुरु। कर्नाटक के निलंबित कांग्रेस विधायक बी.के. सनागमेश ने अपना मामला विशेषाधिकार पैनल का रेफर किए जाने पर विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी की है। सनागमेश ने सवाल किया है कि अगर धर्मस्थल और कोल्लुरु मूकाम्बिका जैसे मंदिरों में पुरुषों के ऊपरी वस्त्र उतारना शर्मनाक नहीं है, तो इसे जनता के मंदिर (विधान सौधा) में शर्म की बात कैसे माना जा सकता है। पत्रकारों से बातचीत में सनागमेश ने कहा कि वह स्पीकर से कोई माफी नहीं मांगेंगे।
उन्होंने मंगलवार को कहा, हम (पुरुष) अक्सर दक्षिण भारत के कुछ प्रमुख मंदिरों में प्रवेश करते समय ऊपरी वस्त्र निकालते हैं। अगर मैंने विरोध में अपनी शर्ट उतार दी है, तो यह शर्मनाक कृत्य कैसे हो सकता है? विरोध में शर्ट उतारना अधिक शर्मनाक है या कैमरे में पकड़ा जाना? सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य अदालतों के सामने कतारबद्ध होकर हाजिर हो रहे हैं। उन्हें शर्म आनी चाहिए न कि मुझे।
उन्होंने व्यंग्यात्मक रूप से कहा कि स्पीकर ने उनका केस विशेषाधिकार समिति के हवाले कर दिया है, तो क्या इससे वह सही साबित हो गए और उनके आरोपों को भी समर्थन मिल गया। उन्होंने कहा, मेरा मामला इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि वह किस तरह सत्ताधारी पार्टी के साथ जा रहे हैं। उन्हें मेरे बचाव में आना चाहिए था, लेकिन उन्होंने मेरे विरोधियों के साथ हाथ मिलाया जो मुझे परेशान कर रहे हैं।