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थानागाजी दुष्कर्म मामला : पीड़ित परिवार ने दोषियों को फांसी देने की मांग की

ByNI Desk,
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थानागाजी दुष्कर्म मामला : पीड़ित परिवार ने दोषियों को फांसी देने की मांग की
जयपुर। बहुचर्चित थानागाजी सामूहिक दुष्कर्म मामले में अदालत ने कल फैसला सुनाते हुए पांचों आरोपियों को दोषी माना। विशेष अदालत ने चार दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई, जबकि घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने वाले दोषी को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। ]इसके एक दिन बाद अब पीड़ित के परिवार के सदस्यों ने अदालत के फैसले पर असंतोष व्यक्त करते हुए दोषियों को फांसी देने की मांग की है। यहां मीडिया से बात करते हुए पीड़िता के पिता, सास और देवर ने कहा कि दोषियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए, ताकि इस तरह के जघन्य अपराधों को दोहराया न जाए। उन्होंने कहा, हम विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे और दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग करेंगे। फैसला सुनाते हुए विशेष अदालत के न्यायाधीश बृजेश कुमार ने अपराध की तुलना द्रौपदी के 'चीरहरण' से की थी और कहा था कि जघन्य कृत्य ने मानवता को शर्मसार किया है। घटना 26 अप्रैल 2019 की है। थानागाजी के रहने वाले एक दंपति बाइक पर जा रहे थे। तभी पांच युवकों ने उनका पीछा करके उन्हें रोक लिया। इसके बाद वह उन्हें जबरन जंगल ले गए। वहां महिला के साथ पति के सामने सामूहिक दुष्कर्म किया। आरोपियों ने इसका वीडियो भी बनाया। इस मामले में दो मई को एफआईआर दर्ज हुई। बताया जाता है कि पीड़ित थाने गए थे, लेकिन पुलिस ने चुनाव में व्यस्त होने की बात कहकर मुकदमा नहीं लिखा और उन्हें वापस भेज दिया। बाद में घटना का वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ा। राजस्थान सरकार को लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती की ओर से इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी थानागाजी का दौरा किया था और वह दुष्कर्म पीड़िता के परिवार से मिले थे। उम्रकैद की सजा पाने वाले दोषियों में इंद्राज, अशोक, छोटेलाल और हंसराज शामिल हैं। अदालत ने उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। पांचवा सजायाफ्ता व्यक्ति मुकेश है, जिसने वीडियो को वायरल किया, और उसे पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। आरोपी ने दुष्कर्म का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल न करने के लिए पीड़िता से 10 हजार रुपये की मांग भी की थी।
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