रांची। झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव की ओर से आज वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विधानसभा में पेश किये गये आर्थिक सर्वेक्षण में प्रदेश की बेरोजगारी दर 7.7 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से 6.1 प्रतिशत से अधिक है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर 7.1 प्रतिशत है जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा दहाई अंकों में 10.5 प्रतिशत है। राज्य में पुरुषों के बीच कुल बेरोजगारी दर 8.2 प्रतिशत, जबकि महिलाओं में यह 5.2 प्रतिशत है।
जहां तक राज्य में नियोजित लोगों का संबंध है, 61.3 प्रतिशत लोग स्व-नियोजित थे, 23.6 प्रतिशत लोग आकस्मिक मजदूर हैं और केवल 15.1 प्रतिशत लोग अपने नियमित वेतन और वेतन पर नौकरी कर रहे हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि झारखंड के 46.75 प्रतिशत श्रमिक कृषि, वानिकी और मछली पकड़ने के क्षेत्रों में लगे हुए हैं।
जबकि अन्य 18.54 प्रतिशत निर्माण में, 8.7 विनिर्माण में और 7.9 प्रतिशत व्यापार और मरम्मत से जुड़े हुए हैं। लिंग के अनुसार, व्यावसायिक वितरण में भी भिन्नता है और सर्वेक्षण में बताया गया है कि पुरुष की तुलना में प्रदेश की महिलायें कृषि, वानिकी और मछली पकड़ने के क्षेत्र में अधिक कार्यरत हैं। करीब 43 प्रतिशत पुरुष और 63 प्रतिशत महिला श्रमिक कृषि, वानिकी और मछली पकड़ने के क्षेत्र में शामिल हैं।
दूसरी ओर लगभग 09 प्रतिशत पुरुष श्रमिक और केवल 02 प्रतिशत महिला श्रमिक ही तेजी से बढ़ते व्यवसाय और मरम्मत के क्षेत्र में कार्यरत है। जुलाई 2019 में ऑक्सफ़ोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव और यूनाइटेड नेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम द्वारा जारी ‘ग्लोबल मल्टीडायमेंटल पॉवर्टी इंडेक्स -2019’ के अनुसार, राज्य के लगभग 46.5 प्रतिशत लोग (1.62 करोड़) वर्ष 2015-16 में बहुआयामी रूप से गरीब थे।