नई दिल्ली। विपक्षी पार्टियों के विरोध के बीच समान नागरिक संहिता का बिल शुक्रवार को संसद में पेश हो गया। राजस्थान से भारतीय जनता पार्टी के सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। आमतौर पर निजी विधेयक पेश होते रहते हैं और उन पर चर्चा नहीं होती है। लेकिन इस विधेयक को लेकर संसद में खूब गरमागरम बहस हुई और विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध भी किया, जिसकी वजह से वोटिंग कराने की नौबत आ गई।
जब पक्ष और विपक्ष के बीच विवाद बढ़ा तो सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पूछा कि इसे क्यों पेश नहीं किया जा सकता? जवाब विपक्ष के सांसद विरोध करते रहे। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड़ ने इसे रोकने की विपक्ष की मांग के बाद वोटिंग कराई, जिसमें 23 के मुकाबले 63 सदस्यों ने इसे पेश करने के समर्थन में वोट किया। इसके बाद विपक्ष की मांग खारिज हो गई और बिल को पेश करने की अनुमति मिल गई। आगे किसी दिन इस पर चर्चा होगी।
गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता भाजपा का एक बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है। पिछले कई दशकों से भाजपा के घोषणापत्र में इसे शामिल किया जाता है। कई भाजपा शासित राज्यों ने अपने यहां इसे लागू करने पर विचार के लिए कमेटी बनाई है। गुजरात चुनाव के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकार सभी संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा करके और सभी पक्षों से विस्तार से विचार विमर्श के बाद इसे लागू करेगी। उन्होंने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी इसे पूरे देश में लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
बहरहाल, सात दिसंबर को शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार 16 विधेयक पेश और पास कराने की तैयारी में है। इसमें कुछ पर गतिरोध देखने को मिल सकता है। राज्यसभा के सभापति के रूप में जगदीप धनखड़ के लिए यह पहला सत्र है। उन्होंने सत्र शुरू होने से पहले सदन की कार्यवाही में व्यवधान को कम करने और कामकाज में सुधार के तरीकों पर कई सदस्यों के सुझाव भी मांगे थे। उन्होंने सत्र से पहले अलग अलग समूहों में राज्यसभा के सांसदों से मुलाकात भी की थी।
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