लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की खाली आठ में से सात सीटों पर उप चुनाव होना है। 2022 से पहले का यह चुनाव सत्ता पर काबिज भाजपा के लिए इम्तिहान माना जा रहा है। भाजपा ने इस उपचुनाव के लिए घोषित किये प्रत्याशियों की सूची में अपने बेदाग छवि और समर्पित कार्यकातार्ओं को जगह देकर एक बड़ा संदेश दिया है।
कुछ सीटें अपने विधायकों के निधन के कारण खाली हुई हैं, वहां उनके किसी परिवार जन को ही मैदान में उतारकर सहानुभूति कार्ड भी खेला गया है। बाकी सीटों पर पुराने व समर्पित कार्यकर्ता को ही टिकट देकर भाजपा ने भरोसा जीतने की कोशिश की है।
पार्टी के नीति निर्धारक जनता के बीच अपनी बेदाग छवि को पेश करने का प्रयास किया है। पार्टी ने कार्यकतार्ओं पर भरोसे का संदेश दिया है। जिन सीटों पर चुनाव होना है, उनमंे से 6 सीटें पहले भाजपा जीत चुकी है। सात सीटों के लिए प्रदेश के सभी दलों ने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। इनका नामांकन भी चल रहा है, इसके साथ ही हर पार्टी के बड़े नेता अब छोटी सभा करने के साथ विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में वर्चुअल सभा भी कर रहे हैं।
बांगरमऊ की सीट कुलदीप सेंगर की विधायकी जाने के बाद पार्टी ने उनके सगे सबंधी को टिकट न देकर वहां से पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीकांत पर भरोसा जताया है। भाजपा जानती थी कि कुलदीप सेंगर के परिवार से किसी शख्स को टिकट देने का मतलब विरोधी दलों को बैठे बिठाए मुद्दा मिलना था। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने अपने कार्यकर्ता पर ही भरोसा जताया है।
जौनपुर की मल्हनी सीट पर निषाद पार्टी से धनंजय सिंह के चुनाव मैदान में उतरने की खूब चर्चा रही है। वह टिकट के चक्कर में भाजपा कार्यालय के चक्कर लगाते भी देखे गए। इसे लेकर निषाद पार्टी ने भाजपा पर दबाव बनाने का प्रयास भी किया था। लेकिन भाजपा नेताओं ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया था कि धनंजय सिंह किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है। अब निषाद पार्टी भी भाजपा के पक्ष में आ गयी है।