इंफाल। मणिपुर में शांति बहाल नहीं हो पा रही है। दो जून से शुरू हुए सुरक्षा बलों के सर्च ऑपरेशन के बीच एक बार फिर राज्य में हिंसा भड़की है। इस हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई है, जबकि सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया है। दो अन्य जवान घायल हैं, जिनका इलाज चल रहा है। नए सिरे से भड़की हिंसा को देखते हुए राज्य में 10 जून तक इंटरनेट बंद कर दिया गया है। कई गावों में हिंसा भड़कने और घरों को जलाए जाने की खबर मिली है।
देर से मिली खबरों के मुताबिक सोमवार को नए सिरे से हिंसा भड़की, जिसमें बीएसएफ के जवान रंजीत यादव घायल हो गए। मंगलवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। सेना के स्पीयर कोर ने बताया कि पांच जून को सर्च ऑपरेशन के दौरान स्थानीय लोगों और जवानों के बीच गोलीबारी हुई थी, जिसमें बीएसएफ जवान घायल हो गया था। असम राइफल्स के भी दो जवानों को गोली लगी है। इन्हें एयरलिफ्ट कर मंत्रीपुखरी ले जाया गया।
इस बीच सरकार ने राज्य में इंटरनेट बंद को 10 जून तक बढ़ा दिया है। मणिपुर में इंटरनेट सेवा तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद ही बंद कर दी गई थी। गौरतलब है कि राज्य में कुकी और मैती समुदाय के बीच तीन मई से जातीय हिंसा चल रही है। इस हिंसा में अब तक 98 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि तीन सौ से ज्यादा लोग घायल हैं। करीब 37 हजार लोग राहत शिविर में भेजे गए हैं। हिंसा से 11 जिले प्रभावित हुए हैं, जिनमें कई जिलों में कर्फ्यू भी लगाया गया है। मैती समुदाय को एसटी में शामिल करने और आरक्षण देने के प्रस्ताव को लेकर कुकी समुदाय के विरोध के बाद हिंसा भड़की।
बहरहाल, सोमवार को भड़की हिंसा में काकचिंग जिले के सेरो गांव में उपद्रवियों ने एक सौ घरों में आग लगा दी थी। इसमें कांग्रेस विधायक रंजीत सिंह का घर भी शामिल है। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के चान दिन के दौरे के बाद सुरक्षा बल राज्य में सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। पांच जून को 790 हथियार और 10,648 गोला-बारूद बरामद किए गए। इन हथियारों को तीन मई को भड़के जातीय दंगों के दौरान पुलिस से लूटा गया था।
इस बीच हिंसा प्रभावित मणिपुर में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है। एडवोकेट चोंगथम विक्टर सिंह और कारोबारी मेयेंगबाम जेम्स ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य भर में इंटरनेट बंद से उनका जीवन और आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है। यह लोगों के दैनिक जीवन और उनके मौलिक अधिकारों को नुकसान पहुंचा रहा है।