नई दिल्ली | WHO Warns Marburg Virus: दुनिया में कभी स्वाइन फ्लू, कभी जीका, कभी कोरोना और अब एक बार फिर से नई बीमारी ने दस्तक दे दी है। जिसने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की भी चिंता बढ़ा दी है। डब्ल्यूएचआ ने भूमध्यवर्ती गिनी में मारबर्ग नाम की महामारी के प्रकोप की पुष्टि करते हुए सभी देशों को चेताया है।
डब्ल्यूएचओ ने गिनी से लिए गए सैंपल्स की सेनेगल की एक प्रयोगशाला में हुई जांच के बाद मारबर्ग महामारी की पुष्टि करते हुए कहा है कि इबोला से संबंधित यह वायरस पश्चिमी अफ्रीका के छोटे से देश गिनी में तेजी से बढ़ता जा रहा है जिसके चलते यहां कम से कम 9 मौतें सामने आ चुकी है। बताया जा रहा है कि मारबर्ग उसी वायरस से संबंधित है, जिसके कारण अफ्रीका में इबोला बीमारी फैलती है। मारबर्ग वायरस रोग एक अत्यधिक जहरीली बीमारी है, जो रक्तस्रावी बुखार का कारण बनती है, इसमें मृत्यु दर 88 फीसदी तक होता है।
डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक डॉ मत्शिदिसो मोएती ने इस बीमारी की गंभीरता को बताते हुए कहा है कि, ‘मारबर्ग अत्यधिक संक्रामक बीमारी है। मारबर्ग की जल्दी पहचान होने के चलते आपातकालीन प्रतिक्रिया जल्दी से पूरी तरह से शुरू हो सकती है, ताकि हम लोगों का जीवन बचा सकें और वायरस को जल्द से जल्द बड़े पैमाने पर फैलने से रोक सकें।
कैसे फैलता है मारबर्ग वायरस?
शोध में पाया गया है कि दक्षिण अफ्रीका में तेज से फैल रहा ये वायरस भी इबोला की तरह चमगादड़ में उत्पन्न हुआ है और संक्रमित मरीजों के बॉडी फ्लूइड, मरीज के इस्तेमाल किए गए बिस्तरों, चादरों के संपर्क में आने से स्वस्थ्य लोगों में फैलता है।
मारबर्ग संक्रमण के लक्षण क्या हैं?
मारबर्ग वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्ति को अचानक से तेज बुखार, तेज सिरदर्द और गंभीर अस्वस्थता के साथ रक्तस्राव से सामना करना पड़ता है। कई रोगियों में सात दिनों के भीतर ही गंभीर रक्तस्रावी लक्षण विकसित हो जाते हैं।
क्या इसके लिए कोई टीका मौजूद है?
WHO Warns Marburg Virus: दक्षिणी अफ्रीकी देशों में तेजी से फैल रहे मारबर्ग संक्रमण के इलाज के लिए अभी तक कोई अधिकृत टीके या दवाएं मौजूद नहीं हैं। इसके लिए तो बस इसके लक्षणों को कम करने के लिए रिहाइड्रेशन ट्रीटमेंट है जो जीवित रहने की संभावना में सुधार कर सकता है।