नई दिल्ली। Wholesale and retail inflation : खाने-पीने की चीजों और पेट्रोल-डीजल की महंगाई का असर अब चौतरफा दिखने लगा है। इनकी बढ़ती कीमतों की वजह से खुदरा महंगाई छह महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है तो थोक महंगाई भी रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है। थोक महंगाई की दर, जो पिछले साल मई में माइनस में थी वह इस साल मई में 13 फीसदी के करीब पहुंच गई है। साल दर साल के स्तर पर देखें तो पिछले साल मई के मुकाबले इसमें 16 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। खुदरा महंगाई मई में छह फीसदी से ऊपर पहुंच गई।
Wholesale and retail inflation : सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, सीपीआई आधारित खुदरा महंगाई दर मई में 6.3 फीसदी रही। एक महीने पहले अप्रैल में यह 4.23 फीसदी पर थी। मई में मंहगाई दर का आंकड़ा रिजर्व बैंक के तय किए गए दायरे से भी ऊपर पहुंच गया है। आरबीआई का दायरा दो से छह फीसदी के बीच का है और इससे पहले लगातार पांच महीनों से खुदरा महंगाई दर इसी दायरे में रही थी। आंकड़ों के मुताबिक पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमत और खाने-पीने के सामानों की कीमत की वजह से महंगाई दर बढ़ी है।
Wholesale and retail inflation : पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और निर्माण लागत बढ़ने से थोक महंगाई दर भी रिकार्ड लेवल पर पहुंच गई है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के मुताबिक थोक महंगाई दर मई में 12.94 फीसदी पर पहुंच गई है। यह मई 2020 में माइनस 3.37 फीसदी रही थी। मंत्रालय ने सोमवार को मई में थोक महंगाई के आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक यानी डब्लुपीआई आधारित महंगाई दर मई में लगातार पांचवें महीने बढ़ी है। इससे पहले अप्रैल में यह दर 10.49 फीसदी पर रही थी।