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क्या कोविड-19 की तीसरी लहर में फ्लु का टीका बच्चों पर होगा असरदार??

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क्या कोविड-19 की तीसरी लहर में फ्लु का टीका बच्चों पर होगा असरदार??
कोरोना की दूसरी लहर ने देश में बहुत उत्पात मचाया है। लेकिन अब राहत की खबर यह है कि कोरोना के मामले में गिरावट होनी शुरु हो गई है। लेकिन वैज्ञानिकों का यह मानना है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर आना तय है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर सबसे अधिक प्रभाव बच्चों पर डालेगी। इससे पहले कई स्टडीज ने वायरस को बच्चों के लिए काफी कम घातक बताते हुए कहा था कि बच्चे ज्यादातर मामलों में वायरस फैलाने का काम कर सकते हैं लेकिन वे खुद सेफ रहेंगे। हालांकि अप्रैल-मई में आए कोरोना पीक के बाद से बच्चों में संक्रमण का ग्राफ बढ़ रहा है। इस बीच एक्सपर्ट दावा करते दिखे कि सामान्य फ्लू शॉट लेना भी कोरोना से उन्हें काफी हद तक बचा सकता है। ऐसे में कोरोना की तीसरी जब आएगी तो बच्चों में एंटीबॉडी विकसित हो जाएगी। इसे भी पढ़ें Rajasthan Board Exam 2021: राजस्थान में भी रद्द हो सकती हैं बोर्ड की परीक्षाएं, आज बैठक में CM Gehlot लेंगे बड़ा फैसला

तीसरी लहर बच्चों के लिए अति भयावह

कोरोना की तीसरी लहर की आशंका इसलिए भी ज्यादा भयावह लग रही है कि इसमें सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को बताया जा रहा है। कई विशेषज्ञ दावे करते दिखे कि दूसरी लहर के 3 से 5 महीने के भीतर तीसरी वेव आएगी, जो बच्चों को टारगेट करेगी। इसके पीछे हालांकि कोई पक्का प्रमाण नहीं लेकिन पिछले दो वेब्स का पैटर्न यही बताता है। कई विशेषज्ञों और डॉक्टर्स ने यह दावा भी किया है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर ज्यादा असर डालेगी। इसलिए पहले ही पुख्ता इंजाम करने होंगे। एक स्टडी में पाया गया कि कोरोना की तीसरी लहर में एक दिन में 45,000 मामले आएंगे। और एक दिन में 9,000 मरीज अस्पताल में भर्ती होंगे। इसके लिए हमें 944 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी। इसलिए कोरोना की तीसरी लहर और भी ज्यादा भयावह मानी जा रही है।

क्यों लग रही ये आशंका

पहली लहर में 60 या उससे अधिक उम्र के लोग प्रभावित हुए। दूसरी यानी मौजूदा लहर का असर युवा और मिडिल एज वालों पर दिख रहा है। बहुत से स्वस्थ लोग अस्पताल तक पहुंच गए। अब चूंकि 18 साल और ऊपर के आयुवर्ग के लिए तेजी से टीकाकरण चल रहा है, लिहाजा अनुमान है कि बड़ी आबादी आने वाले महीनों में संक्रमण से काफी हद तक सुरक्षित हो जाएगी।

बच्चों के लिए फ्लु का टीका

फिलहाल बच्चों की कोविड वैक्सीन न होने के कारण विशेषज्ञ उसके विकल्प तलाश रहे हैं। इसी कड़ी में बार-बार फ्लू शॉट की बात हो रही है। बता दें कि ये सर्दी-जुकाम को गंभीर होने से बचाने वाला शॉट होता है जो 5 साल से कम उम्र के बच्चों को हर साल दिया जाता है। खुद इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) इसकी बात करता है। बच्चों के लिए फिलहाल हमारे यहां कोई टीका नहीं। यहां तक कि पश्चिमी देशों में भी 12 साल के बच्चों के लिए टीकों पर ट्रायल तो अंतिम चरण मे हैं लेकिन पेरेंट्स को ये यकीन करने में समय लगेगा कि वैक्सीन उनके बच्चों के लिए पूरी तरह सेफ है। ऐसे में बच्चों पर वाकई वायरस का खतरा मंडरा रहा है। और विशेषज्ञ फ्लु के टीके बच्चों को देने पर विचार कर रहे है।

अमेरिका की एक स्टडी के अनुसार..

अमेरिका के मिशिगन और मिसौरी में इसपर स्टडी हुई, जिसके नतीजे राहत देने वाले हो सकते हैं। यहां कोविड संक्रमित बच्चों पर हुई स्टडी में दिखा कि जिन बच्चों ने साल 2019-20 में फ्लू का शॉट लिया था, उनके कोविड संक्रमित होने का डर कम रहा। या फिर उनमें संक्रमण हुआ भी तो सामान्य लक्षणों के बाद वे रिकवर हो गए। ये रिपोर्ट इंडिया टुडे में आ चुकी है। अमेरिका के अलावा रिसर्च करने वाली नीदरलैंड्स की रेडबाउंड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में भी यही पाया गया। यहां दिखा कि जिन्हें फ्लू का टीका लगा, उनमें कोरोना से संक्रमित होने का खतरा 39 फीसदी तक कम था।

फ्लू शॉट का कोरोना कनेक्शन

क्यों फ्लू का टीका कोरोना वायरस पर काम करता है, ये समझना जरूरी है। दरअसल फ्लू यानी इंफ्लूएंजा और कोरोना वायरस के क्लिनिकल फीचर एक से होते हैं। मौजूदा हालात में कोरोना और फ्लू होने महामारी को ट्विनडेमिक (twindemic) में बदल सकता है। इससे महामारी और घातक हो जाएगी। वहीं फ्लू का टीका लग जाए तो बच्चों में न केवल फ्लू, बल्कि कोविड का डर भी घटेगा। कुल मिलाकर ये जोखिम को रोकने की तैयारी मानी जा सकती है। यही कारण है कि एक्सपर्ट बच्चों को सालाना फ्लू शॉट के लिए कह रहे हैं, खासकर जिनकी उम्र 5 साल से कम हो।

क्या बच्चे फ्लू और कोरोना दोनों की वैक्सीन ले सकते हैं?

अगर बच्चों पर भी कोरोना वैक्सीन उतनी ही असरदार और सुरक्षित लगे तो जाहिर तौर पर टीकाकरण शुरू हो जाएगा। हालांकि न तो फ्लू का टीका कोरोना से बचाने की गारंटी है और न ही कोविड का टीका फ्लू का विकल्प है। यानी दोनों ही टीके देने होंगे। हां, ये बात जरूर है कि दोनों टीकों के बीच एक निश्चित समय का अंतर रखना होगा ताकि एंटीबॉडी आसानी से बन सके।
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