New Delhi: आज विश्वभर में TB Day मनाया जा रहा है. प्रत्येक साल 24 मार्च को World TB Day के रुप में मनाया जाता है. इसे क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है. विश्व टीबी दिवस पर वर्ल्ड स्वास्थय संगठन (WHO) ने एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार टीबी से मरने वालों मरीजों की संख्या में भारत में अब भी सबसे अधिक है. इसमें भी सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि WHO ने वर्ल्ड टीबी डे के मौके पर वर्ष 2016 में यह रिपोर्ट जारी की थी. जिसके बाद जनवरी 2018 में इस रिपोर्ट को रिन्यू कर दिया गया और आज भी ये आंकड़े नहीं बदले हैं. कोरोना काल में टीबी जैसे रोगो को रोकना और भी मुश्किल हो गया है. कोरोना के साथ-साथ अन्य रोग भी बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि माना जाता है कि टीबी के मरीजों में कोरोना होने की आशंका कम होती है. लेकिन टीबी से मरने वालों की संख्या जरूर परेशान करने वाली है. हर साल देशभर में विश्व टीबी दिवस के मौके पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है.
WHO के रिपोर्ट की कुछ खास बातें….
1) दुनिया में मौत के 10 कारणों में टीबी से होने वाली मौत सबसे ज्यादा है. टीबी से दुनिया में सबसे अधिक मौते होती है इनमें भी ये आंकड़ा भारत में सबसे ज्यादा है.
2) वर्ष 2016 में पूरे विश्व में 10.4 मिलियन लोग टीबी के शिकार हुए थे. जिनमें से 1.7 मिलियन लोगो की मौत हो गई. इनमें से 95 फीसदी मौतें निम्न और मध्यम आयवर्ग वाले देशों में हुई.
3) दुनिया में टीबी के मरीजों की संख्या का 64 प्रतिशत सिर्फ सात देशों में है, जिनमें भारत सबसे ऊपर है. भारत के बाद इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका है.
4) वर्ष 2016 में दुनियाभर में करीब 10 लाख बच्चों को टीबी हुई थी जिनमें करीब ढाई लाख बच्चों की मौत हो गई थी. इनमें वे बच्चे भी शामिल थे जिनमें टीबी के साथ-साथ एचआईवी के भी लक्षण पाए गए थे.
5) डब्ल्यूएचओ का कहना है कि दुनिया के सभी देशों में अगर सही तरीके से टीबी का इलाज होता रहे तो वर्ष 2030 तक इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.
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ये हैं टीबी के लक्षण
- तीन हफ़्तों से जयादा तथा लगातार खांसी आना.
- खांसी के साथ-साथ बुखार का आना और ठण्ड लगना .
- खांसी आते समय सीने में अधिक दर्द अधिक दर्द होना.
- कमजोरी तथा थकाबट होना.
- भूख न लगना तथा वजन का लगातार कम होना .
- रात में तथा सोते समय अधिक पसीना आना.
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टीबी के रोकथाम के उपाय
क्षय रोग(टीबी) श्वसन संबधी रोग है. जिस कारण यह शरीर के अन्य हिस्से जैसे की हड्डिया, मष्तिष्क, पेट, पाचन तंत्र, किडनी तथा लिवर को संक्रमित करता है. इस रोग का इलाज डॉक्टर तथा डाइइटीशियन की सलाह से महीनों तक लगातार चलता है. टीबी के इलाज के दौरान कई प्रकार की एंटीबायोटिक दवाये मरीज को दी जाती है जो की माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु को नष्ट तथा नियंत्रित करती हैं. दवाओं के साथ मरीज को पोष्टिक भोजन भी दिया जाता है. अक्सर देखा जाता है कि टीबी के दौरान मरीज कुपोषण का शिकार हो जाता है इसलिए मरीज को प्रोटीन और एनर्जी का पोष्टिक आहार देना चााहिए.
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