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Corona History : कोरोना अभी नहीं पिछले 25 हजार साल से बना है लोगों की जान का दुश्मन

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Corona History : कोरोना अभी नहीं पिछले 25 हजार साल से बना है लोगों की जान का दुश्मन
भारत में कोरोना को आये दो साल हुये है। और इसने अभी तक हजारों-करोड़ों लोगों की जान ले ली है। लेकिन एक स्टडी में इस बात की पुष्टि हुई है कि कोरोना अभी दुनिया में नहीं आया है बल्कि ये तो 25 हजार साल पहले सो ही लोगों की जान का दुश्मन बना हुआ है।  स्टडी में खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस आज से करीब 25 हजार साल पहले ईस्ट एशिया में कहर ढा चुका है। जानिए 25 हजार साल पहले का कोरना वायरस कैसा था? इसे भी पढ़ें बेकाबू कोरोना! डाॅक्टर वीके पॉल ने कहा- बदल गई परिस्थितियां, घर में परिवार के बीच भी लगाना होगा Mask

कोरोना के आगे इंसान बेबस

कोरोना वायरस  ने इंसान को बता दिया है कि भले ही बहुत तरक्की हो चुकी है लेकिन वायरस के आगे वह हमेशा कमजोर रहा है। यह स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना में की गई। असिस्टेंट प्रोफेसर एनार्ड ने बताया कि वायरस ने हमेशा से ही इंसानों को उसके स्तर को याद दिलाया है। वायरस ने इंसानों को बीमार किया और उन्हें मार दिया। आज भी कोरोना के आगे इंसान बेबत है। और आज से हजारों वर्ष पहले भी था। आज भी कोरोना ने भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है।

जीनोम के जरिए आगे बढ़ता है कोरोना वायरस

प्रोफेसर एनार्ड ने कहा कि इंसानों की तरह वायरस भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी नए जीनोम के जरिए आगे बढ़ता रहता है। ये प्रक्रिया हर पैथोजेन में होती है। हर पैथोजेन अपनी पीढ़ियों में बदलाव करता रहता है ताकि वो वातावरण में सर्वाइव कर सके। जान लें कि देर से होने वाले बदलाव को इवोल्यूशन और जल्दी होने वाले बदलाव को म्यूटेशन कहते हैं।

25 हजार साल पुराना कोरोना वायरस

स्टडी में बताया गया कि रिसर्चर्स की टीम ने 25 हजार साल पुराने कोरोना वायरस को ढूंढने के लिए दुनियाभर की 26 अलग-अलग जगहों के 2,504 लोगों के जीनोम  की जांच की। तो पता चला कि कोरोना जैसे पैथोजेन इंसान के DNA में नैचुरल सेलेक्शन करके पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ते हैं। गौरतलब है कि यह स्टडी इंसानों के बहुत काम आने वाली है क्योंकि इससे पता चलेगा कि भविष्य में किस प्रकार के वायरस आ सकते हैं। या फिर वह किन लोगों को संक्रमित करेगा।

नया वायरस बनने की प्रक्रिया

बता दें कि प्रोफेसर एनार्ड की यह स्टडी bioRxiv में छपी है। साइंस जर्नल में छापने के लिए इसका रिव्यू किया जा रहा है। कोरोना सेल्स के जरिए शरीर में एंट्री करता है। यह सेल्स को हाईजैक कर लेता है। इसके बाद वायरस खुद को सेल्स के अंदर तोड़कर नया वायरस बनाता है। कोरोना एक बार में इंसान के शरीर की हजार से भी ज्यादा प्रोटीन से संपर्क करता है। साइंटिफिक रिसर्च में पता चला कि कोरोना वायरस ह्यूमन बॉडी के 420 प्रकार के प्रोटीन्स  से संपर्क करता है। इनमें से 332 प्रोटीन्स कोरोना वायरस से सीधे संपर्क करते हैं। जब प्रोटीन्स और कोरोना वायरस का संपर्क होने लगे तो समझ लीजिए कि संक्रमण होने वाला है। इंसान के शरीर के प्रोटीन्स को तोड़कर कोरोना वायरस नया वायरस बनाता है। जान लें कि ईस्ट एशिया में रहने वाले लोगों में ऐसे जीन्स मिले हैं जो 25 हजार साल पुराने कोरोना वायरस के संपर्क में आए इसका सबूत अब भी उनके शरीर में मौजूद है। अब तक कई प्रकार के कोरोना वायरस ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोगों को बीमार किया। इसमें होने वाले म्यूटेशन  की वजह से ईस्ट एशिया में लोगों की इम्युनिटी मजबूत हो गई। दरअसल यहां के लोग ज्यादा बार कोरोना संक्रमित हुए तो उनके शरीर में एंटीबॉडी बन गई। इसे भी पढ़ें दुनिया की सबसे बड़ी इमारत बुर्ज खलीफा पर तिरंगा कें रंग उकेर,  दिया एकजुटता का संदेश
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