नई दिल्ली। एक शोध में यह बात सामने आई है कि गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) के वायु प्रदूषण (पीएम 2.5) के संपर्क में आने से इम्यून सिस्टम असर हो सकता है। इसकी वजह से बच्चे के जन्म के समय भी परेशानी आ सकती है। जबकि पिछले शोध ने पीएम 2.5 के संपर्क को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जटिलताओं से जोड़ा था। इसमें प्रीक्लेम्पसिया, जन्म के समय कम वजन और शारीरिक विकास में रुकावट की बात थी । साइंस एडवांसेज में प्रकाशित नया शोध पीएम 2.5 और मातृ एवं भ्रूण स्वास्थ्य के बीच संबंधों की जांच करने वाला पहला अध्ययन है।
हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने एकल-कोशिका स्तर पर वायु प्रदूषकों (Air Pollutants) के प्रभाव को समझने पर ध्यान केंद्रित किया। विश्वविद्यालय में जलवायु और जनसंख्या अध्ययन के प्रोफेसर कारी नादेउ ने कहा कि यह निष्कर्ष गर्भावस्था, मातृ स्वास्थ्य और भ्रूण विकास को प्रभावित करता है। अध्ययन में आम महिलाओं और 20 सप्ताह की गर्भवती महिलाओं दोनों को शामिल किया गया।
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एक नवीन तकनीक का उपयोग करके टीम ने यह देखा कि प्रदूषण ने कैसे इन महिलाओं के डीएनए (DNA) पर असर डाला। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रत्येक कोशिका के भीतर हिस्टोन नामक प्रोटीन में कुछ परिवर्तन हुआ। ये कोशिका संचारक को रिलीज करते हैं- जो शरीर में इन्फ्लेमेशन को नियंत्रित करने का काम करते हैं और गर्भावस्था को प्रभावित कर सकते हैं। अध्ययन में पाया गया कि पीएम 2.5 के संपर्क में आने से गर्भवती महिलाओं के हिस्टोन प्रोफाइल पर असर पड़ सकता है, जिससे कोशिका संचारक जीन का सामान्य संतुलन बिगड़ सकता है और महिलाओं और भ्रूण दोनों में इंफ्लेमेशन बढ़ सकता है।
अध्ययन में गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) में वायु प्रदूषण के संपर्क को कम करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया है ताकि मातृ और भ्रूण के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके। शोधकर्ताओं ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए नीतिगत हस्तक्षेप और गर्भवती महिलाओं को प्रदूषण के संपर्क में आने से बचाने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करने का भी आग्रह किया।