हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप आज की भाग-दौड़ और तनाव भरी जिंदगी में सेहत से जुड़ी सबसे आम समस्या है जो वास्तव में ऐसी गम्भीर मेडिकल कंडीशन है जिससे कई जानलेवा बीमारियां हो जाती हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार हमारे देश में प्रतिवर्ष एक करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं और इस समय करीब 36 प्रतिशत लोग इससे पीड़ित हैं।
ब्लड प्रेशर है क्या?
मेडिकल साइंस के अनुसार जब रक्त (ब्लड), हृदय से पम्प होकर धमनियों के जरिये शरीर में प्रवाहित होने के लिये धमनियों पर दबाव बनाता है, रक्त के धमनियों में आगे बढ़ने से पैदा हुआ यही प्रतिरोध रक्तचाप या ब्लड प्रेशर कहलाता है। स्वस्थ व्यक्ति का ब्लड प्रेशर 120/80 मिलीमीटर ऑफ मरकरी (एमएसएचजी) होता है। ब्लड प्रेशर में दो संख्यायें (नंबर) होती हैं, पहली सिस्टोलिक और दूसरी को डाइस्टोलिक कहते हैं।
सिस्टोलिक: यह ऊपर वाला नंबर होता है, जैसेकि 120/80 में 120। यह नंबर बताता है कि दिल धड़कने के बाद जब ब्लड पम्प होकर धमनियों में आता है तो कितना दबाव बनता है।
डाइस्टोलिक: यह नीचे वाला नंबर है जैसेकि 120/80 में 80। यह दिल की धड़कनों के बीच धमनियों में प्रेशर या दबाव की रीडिंग है।
ब्लड प्रेशर कैटागरी
मेडिकल साइंस में वयस्क के लिये ब्लड प्रेशर की रीडिंग को इन पांच कैटागरी में बांटा गया है-
स्वस्थ: स्वस्थ व्यक्ति की ब्लड प्रेशर रीडिंग 120/80 मिलीमीटर ऑफ मरकरी (एमएसएचजी) या इससे कम होनी चाहिये।
एलीवेटेड: इस कंडीशन में व्यक्ति का सिस्टोलिक नंबर 120 से 129 के बीच और डाइस्टोलिक नंबर 80 या इससे कम रहता है। ऐसी स्थिति में डाक्टर दवायें न देकर मरीज को लाइफ स्टाइल बदलकर ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने की सलाह देते हैं।
स्टेज-1 हाइपरटेंशन: इस कंडीशन में सिस्टोलिक नंबर 130 से 139 के बीच और डाइस्टोलिक नंबर 80 से 89 के बीच होता है।
स्टेज-2 हाइपरटेंशन: इस कंडीशन में सिस्टोलिक नंबर 140 से अधिक और डाइस्टोलिक नंबर 90 से अधिक होता है।
हाइपरटेंशसिव क्राइसिस: इस कंडीशन में सिस्टोलिक नंबर 180 से ज्यादा और डाइस्टोलिक नंबर 120 से ऊपर होता है। ब्लड प्रेशर की इस रेंज में तुरन्त मेडिकल अटेन्शन की जरूरत होती है अन्यथा ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक, किडनी फेलियर या आखें खराब हो सकती हैं। इस स्थिति में यदि सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और आंखों के विजन में बदलाव महसूस हो तो मरीज को तुरन्त इमरजेंसी में ले जायें।
शरीर पर हाई ब्लड प्रेशर का असर
यदि हाई ब्लड प्रेशर का समय से इलाज न कराया जाये तो शरीर पर इसका बुरा असर होता है जैसेकि-
रक्त वाहनियां डैमेज होना: जब व्यक्ति को ब्लड प्रेशर नहीं होता (स्वस्थ व्यक्ति) तो उसकी आर्टरीज लचीली और मजबूत होती हैं, इनमें सुगमता से रक्त प्रवाहित होता रहता है। हाई ब्लड प्रेशर से इनके कठोर और सकरे होने के कारण लचीलापन कम होता है जिससे इनमें डायटरी फैट जमा होने से रक्त प्रवाह घट जाता है और परिणामस्वरूप ब्लड प्रेशर बढ़ता है, इस कंडीशन में नसों में ब्लॉकेज के चांस बढ़ जाते हैं जो आगे चलकर हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का कारण बनते हैं।
हार्ट डैमेज होना: हाई ब्लड प्रेशर के कारण हृदय को ज्यादा काम करने से हार्ट इन्लार्ज हो जाता है जिससे हार्ट फेलियर, एरिद्मिया, कार्डियक डेथ व हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
ब्रेन डैमेज होना: हमारा दिमाग पूरी तरह से ऑक्सीजन सप्लाई पर निर्भर है, जब तक ऑक्सीजन से भरपूर रक्त, दिमाग में आता है यह सही ढंग से काम करता है। हाई ब्लड प्रेशर से ब्रेन में रक्त की सप्लाई घटती है और ये कॉम्प्लीकेशन होने के चांस बढ़ जाते हैं-
- दिमाग में टेम्प्रेरी तौर पर रक्त प्रवाह रूकना अर्थात ट्रांसियेंट इस्केमिक अटैक।
- दिमाग में ज्यादा ब्लॉकेज होने से ब्रेन स्ट्रोक।
- अनियन्त्रित हाई ब्लड प्रेशर से मेमोरी खराब होती है और व्यक्ति की याद करने, सीखने, तर्क करने व बोलने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।