January 2025 Vrat Tyohar List: नया साल 2025 का आगाज हो चुका है, और इस महीने में कई खास व्रत-त्योहार मनाए जाने वाले हैं। जनवरी का महीना व्रत-त्योहारों के लिहाज से बेहद खास माना जाता है।
जनवरी का महीना धार्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान कई प्रमुख व्रत और त्योहार आते हैं। इस महीने में कई महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर आते हैं, जिन्हें श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।
जनवरी के शुरुआत में खरमास समाप्त हो जाएगा, जिससे शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो सकेगी। इनमें से कुछ विशेष व्रत जैसे मकर संक्रांति, सकट चौथ और मौनी अमावस्या हैं, जो श्रद्धालुओं द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से मनाए जाते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, जनवरी में वैकुंठ एकादशी, मकर संक्रांति, लोहड़ी, सकट चौथ और मौनी अमावस्या जैसे प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे।
इसके अलावा, इस महीने महाकुंभ का आयोजन भी होने जा रहा है, जो हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है।
इस महीने महाकुंभ का भी आयोजन होने जा रहा है, जो भक्तों के लिए एक अद्भुत अवसर है। महाकुंभ का आयोजन इस महीने भक्तों के लिए एक अद्भुत अवसर होगा, जहां वे पवित्र स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
इस महीने को लेकर सभी भक्तों के मन में विशेष उमंग और श्रद्धा है। आइए, जनवरी 2025 में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों के बारे में, ताकि आप इन खास दिनों को सही तरीके से मना सकें।
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मकर संक्रांति पर विशेष योग
14 जनवरी को मकर संक्रांति 2025 का पर्व मनाया जाएगा। यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और शुभ पर्व है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का विशेष महत्व है क्योंकि इसे कृषि से जुड़ा हुआ पर्व माना जाता है और यह उत्तरायण का शुभारंभ होता है, जब सूर्य उत्तर की ओर मीन से मकर राशि में प्रवेश करता है।
इस दिन को लेकर विभिन्न राज्यों में खास परंपराएं और त्यौहार मनाए जाते हैं, जैसे कि लोहड़ी, उत्तरायण, काइट फेस्टिवल और तिल गुड़ खाने की परंपरा।
मकर संक्रांति का दिन दान और पुण्य का दिन माना जाता है, और इस दिन विशेष रूप से तिल, गुड़, उबटन, स्नान और दान का महत्व है।(January 2025 Vrat Tyohar List)
लोग इस दिन खासतौर पर तिल और गुड़ से बनी चीजों का सेवन करते हैं, क्योंकि यह सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन लोग सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। मकर संक्रांति को लेकर हर जगह मेलों और उत्सवों का आयोजन होता है, जिसमें लोग आनंद और उमंग से हिस्सा लेते हैं।
जनवरी 2025 कैलेंडर (January 2025 calendar)
3 जनवरी 2025 – पौष विनायक चतुर्थी, पंचक शुरू
पौष माह की विनायक चतुर्थी का महत्व विशेष होता है, जो गणेश भगवान की पूजा का दिन होता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। पौष माह की इस चतुर्थी को विशेष रूप से तिल और गुड़ से बनी मिठाइयाँ चढ़ाई जाती हैं।
इसके अलावा, पंचक का समय भी शुरू हो रहा है। पंचक वह समय होता है जब चंद्रमा 5 राशियों में प्रवेश करता है।
पंचक के दौरान विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह समय विशेष रूप से अशुभ माना जाता है। पंचक के दौरान किसी भी नए कार्य की शुरुआत करने से बचना चाहिए और शांतिपूर्वक धार्मिक कार्यों में लिप्त रहना चाहिए।
5 जनवरी 2025 – स्कंद षष्ठी
स्कंद षष्ठी एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो भगवान कार्तिकेय की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इसे खासतौर पर दक्षिण भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, हालांकि यह भारत के अन्य हिस्सों में भी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
स्कंद षष्ठी का पर्व पार्वती और शिव के पुत्र कार्तिकेय की उपासना के लिए समर्पित है, जो युद्ध के देवता माने जाते हैं और जिन्हें “मुर्धन्य वीर” के रूप में पूजा जाता है।
इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की भी पूजा की जाती है, क्योंकि कार्तिकेय उनके पुत्र हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। गायत्री मंत्र का जाप भी इस दिन विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
6 जनवरी 2025 – गोविंद सिंह जयंती
गोविंद सिंह जयंती सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से सिख समुदाय द्वारा बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसम्बर 1666 को पटना साहिब (बिहार) में हुआ था।
वह सिख धर्म के दशम गुरु थे और उन्होंने सिख धर्म को एक नई दिशा दी। गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की, जिसे 1699 में आनंदपुर साहिब में किया गया था।
उनका उद्देश्य था कि सिखों को एकजुट किया जाए और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाया जाए ताकि वे धार्मिक और सामाजिक अत्याचारों के खिलाफ खड़े हो सकें।
गुरु गोविंद सिंह जी ने न केवल धार्मिक शिक्षा दी, बल्कि उन्होंने अपने जीवन में साहस, वीरता, और समर्पण का आदर्श प्रस्तुत किया।
उनकी शिक्षाओं में सत्य, अहिंसा, और समानता के सिद्धांतों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। उन्होंने “वो सब धर्म का सिखाएं, जो तुम्हें सही लगे” जैसी शिक्षाएं दी, जो आज भी सिख समुदाय के जीवन का हिस्सा हैं।
7 जनवरी 2025 – मासिक दुर्गाष्टमी
मासिक दुर्गाष्टमी एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जिसे प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है।
हर महीने की अष्टमी तिथि को देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की उपासना की जाती है और इस दिन का विशेष महत्व होता है।
10 जनवरी 2025 – पौष पुत्रदा एकादशी या वैकुंठ एकादशी
पौष पुत्रदा एकादशी या वैकुंठ एकादशी हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, जो विशेष रूप से पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित होता है और इसे बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है।
वैकुंठ एकादशी का दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के भक्तों के लिए एक खास अवसर होता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के वैकुंठ धाम की यात्रा का वरदान प्राप्त करने का विश्वास होता है।
वैकुंठ एकादशी के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के भक्तों के लिए वैकुंठ द्वार खुलने का विश्वास है। इस दिन भगवान के दर्शन से जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
11 जनवरी 2025 – शनि प्रदोष व्रत
शनि प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है, जो प्रदोष व्रत के दिन शनिवार को विशेष रूप से मनाया जाता है। यह व्रत शनि देव की पूजा के लिए समर्पित होता है, जो न्याय के देवता माने जाते हैं। ।
12 जनवरी 2025 – स्वामी विवेकानंद जयंती
स्वामी विवेकानंद जयंती 12 जनवरी को मनाई जाती है, जो भारतीय संत और योगी स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस के रूप में प्रसिद्ध है। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था, और उनकी जीवन यात्रा भारतीय समाज में जागरूकता, प्रेरणा और सामाजिक सुधार का एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
13 जनवरी 2025 – पौष पूर्णिमा, लोहड़ी, महाकुंभ शुरू
पौष पूर्णिमा, लोहड़ी और महाकुंभ हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पर्व और घटनाएँ हैं, जो विशेष रूप से जनवरी माह में मनाई जाती हैं। इन पर्वों का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है।
पौष पूर्णिमा
हिंदू कैलेंडर के पौष माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से तप, पूजा और दान के लिए महत्वपूर्ण होता है।
इस दिन गंगा नदी में स्नान करना विशेष लाभकारी माना जाता है। इसे पुण्य का दिन माना जाता है, और भक्त गंगा में स्नान कर अपने पापों का नाश करने का विश्वास रखते हैं।
लोहड़ी 2025
यह एक प्रमुख पंजाबी पर्व है, जो विशेष रूप से पंजाब और उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह पर्व सर्दी के मौसम का अंत और माघ माह के आगमन का प्रतीक होता है। लोहड़ी का पर्व सर्दी में गर्मी के स्वागत के रूप में मनाया जाता है, और यह नई फसल की खुशी का भी प्रतीक है।
इस दिन विशेष रूप से आग जलाकर उसकी परिक्रमा की जाती है। लोग लकड़ी, मूंगफली, तिल, और रेवड़ी आदि चढ़ाते हैं और आग में उछालते हैं। यह एक प्रतीकात्मक कर्म होता है, जिसके माध्यम से लोग भगवान से सुख-समृद्धि और घर में खुशहाली की कामना करते हैं।
महाकुंभ
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और विशाल धार्मिक मेला होता है, जो हर 12 वर्षों में चार प्रमुख स्थानों—प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में आयोजित होता है।
14 जनवरी 2025 – मकर संक्रांति, माघ माह शुरू, पोंगल, उत्तरायण(January 2025 Vrat Tyohar List)
मकर संक्रांति हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के पहले दिन मनाई जाती है, जो विशेष रूप से सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है। यह पर्व सूर्य देव की पूजा का दिन है और कृषि से जुड़ा हुआ है, खासकर कृषि प्रधान क्षेत्रों में इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
सूर्य पूजा: इस दिन विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन को लेकर यह मान्यता है कि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करने से पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा कम होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
माघ माह का आरंभ
माघ माह हिंदू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण महीना होता है। यह विशेष रूप से पूजा, व्रत और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए माना जाता है। माघ माह के दौरान विशेष रूप से माघ स्नान का महत्व है, जिसमें श्रद्धालु गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और पुण्य की प्राप्ति करते हैं।
पोंगल
पोंगल विशेष रूप से दक्षिण भारत का प्रमुख पर्व है, जो मकर संक्रांति के आसपास मनाया जाता है। यह कृषि आधारित पर्व है, जो नए कृषि उत्पादों की खुशहाली और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। पोंगल चार दिनों तक चलता है और हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है।
पहला दिन (भोगी पोंगल): इस दिन घरों की सफाई की जाती है और पुराने सामान को जलाया जाता है, यह समय नवीनीकरण का प्रतीक है।
दूसरा दिन (थाई पोंगल): यह पोंगल का मुख्य दिन होता है, जब नई फसल का धन्यवाद देने के लिए विशेष पूजा की जाती है।
तीसरा दिन (मट्टू पोंगल): इस दिन बैल और अन्य कृषि जानवरों की पूजा की जाती है, जो खेतों में काम करने के लिए उपयोग होते हैं।
चौथा दिन (कन्नी पोंगल): इस दिन खासतौर पर घर के नए सदस्य और परिवार के बच्चों की पूजा की जाती है।
उत्तरायण
उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति के साथ जुड़ा हुआ है और इसे विशेष रूप से सौर वर्ष के उत्तरी गोलार्ध में सूर्य के उत्तर की ओर बढ़ने के रूप में मनाया जाता है।
इसे सर्दियों के अंत और गर्मियों के आगमन का प्रतीक माना जाता है। उत्तरायण का पर्व कृषि कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह समय फसलों के पकने का होता है।
15 जनवरी 2025 – बिहू
बिहू भारत के असम राज्य का प्रमुख और सबसे लोकप्रिय पर्व है, जो खासतौर पर असम और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में मनाया जाता है।
बिहू तीन प्रमुख हिस्सों में मनाया जाता है — रंगाली बिहू (उत्सव बिहू), काती बिहू (उपवास बिहू) और माघ बिहू (भोग बिहू)।
ये पर्व कृषि आधारित होते हैं और नए मौसम के आगमन, फसल की कटाई और समाज में खुशी और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। बिहू के पर्व का असम की सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में गहरा महत्व है।
यह बिहू का प्रमुख पर्व होता है, जिसे सर्दी से गर्मी की ओर जाने के समय मनाया जाता है। इसे वसंत बिहू भी कहा जाता है और यह नए फसल की कटाई का प्रतीक होता है।
रंगाली बिहू विशेष रूप से अप्रैल के महीने में मनाया जाता है और यह सबसे भव्य और धूमधाम से मनाया जाने वाला बिहू है।
नई फसल की कटाई: यह दिन खेतों में नए अनाज की कटाई और उसे घर लाने का दिन होता है। इस दिन को खुशियों और समृद्धि के रूप में मनाया जाता है।
17 जनवरी 2025 – संकट चौथ
संकट चौथ एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है, जिसे विशेष रूप से माघ माह की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है, और इसका उद्देश्य संतान सुख, सुख-समृद्धि, और विघ्नों से मुक्ति प्राप्त करना होता है। यह व्रत विशेष रूप से गणेश जी की पूजा करने के लिए प्रसिद्ध है, और इस दिन भगवान गणेश की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
21 जनवरी 2025 – कालाष्टमी
25 जनवरी 2025 – षटतिला एकादशी
षटतिला एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है, जो माघ माह की शुक्ल एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उपवास और दान का पर्व है, जिसे धार्मिक शुद्धता और पुण्य प्राप्ति के लिए किया जाता है।
षटतिला एकादशी का व्रत विशेष रूप से कृषि, धन और समृद्धि के लिए किया जाता है, और यह दिन विशेष रूप से घर में सुख-शांति और समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है।
27 जनवरी 2025 – मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत
29 जनवरी 2025 – माघ अमावस्या, मौनी अमावस्या
माघ अमावस्या और मौनी अमावस्या दोनों ही महत्वपूर्ण हिंदू पर्व हैं, जो माघ माह की अमावस्या को मनाए जाते हैं। माघ माह की अमावस्या को लेकर विशेष मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और दान का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। माघ अमावस्या पर गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि गंगा में स्नान करना संभव न हो, तो घर पर पवित्र जल का स्नान भी किया जा सकता है।
30 जनवरी 2025 – माघ गुप्त नवरात्रि शुरू
माघ गुप्त नवरात्रि हिंदू धर्म में विशेष रूप से महत्व रखने वाला एक नौ दिवसीय पर्व है, जो माघ माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। यह नवरात्रि पूजा विशेष रूप से शक्ति आराधना के रूप में की जाती है और इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
गुप्त नवरात्रि का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह नवरात्रि आमतौर पर छिपकर और विशेष साधना के साथ मनाई जाती है। इसमें भक्तगण विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा और उपासना करते हैं, जो उन्हें शक्ति, साहस, और मानसिक शांति प्रदान करती हैं।
जनवरी 2025 ग्रह गोचर
4 जनवरी 2025 – बुध का धनु राशि में गोचर
14 जनवरी 2025 – सूर्य का मकर राशि में गोचर
21 जनवरी 2025 – मंगल का मिथुन राशि में गोचर
28 जनवरी 2025 – शुक्र का मीन राशि में गोचर